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कमल नाथ की बढ़ सकती मुसीबत, चुनाव आयोग ने तीन पसंदीदा अधिकारियों पर केस दर्ज करने के दिए निर्देश, जानें पूरा मामला

चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को उन तीन आइपीएस अधिकारियों एवं अन्‍य के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। इनकी साल 2019 के आम चुनावों के दौरान काले धन के इस्तेमाल में कथित भूमिका सामने आई थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 10:46 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 07:01 AM (IST)
कमल नाथ की बढ़ सकती मुसीबत, चुनाव आयोग ने तीन पसंदीदा अधिकारियों पर केस दर्ज करने के दिए निर्देश, जानें पूरा मामला
चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के तीन आइपीएस अधिकारियों एवं अन्‍य के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।

भोपाल, जेएनएन/पीटीआइ। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दौरान उनके सहयोगी आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ व अश्विन शर्मा सहित अन्य के यहां की गई छापेमारी की रिपोर्ट पर भारत निर्वाचन आयोग ने उनके पसंदीदा भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के तीन अधिकारियों और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। 

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इन अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई 

साथ ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्य प्रदेश से कहा है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट में शामिल अन्य लोगों को आर्थिक अपराध और चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल के मामले में आरोपी बनाया जाए। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक आइपीएस अधिकारियों में सुशोवन बनर्जी, संजय वी माने, वी मधुकुमार और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के भी आदेश दिए गए हैं।

52 ठिकानों पर मारे गए थे छापे 

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई की थी। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के सलाहकार आरके मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़, एनजीओ संचालक अश्विन शर्मा सहित अन्य व्यक्तियों के 52 ठिकानों पर छापे मारे गए थे। इसमें चुनाव के दौरान कालेधन के इस्तेमाल का राजफाश हुआ था।

281 करोड़ का मिला था हिसाब

साल 2019 में सीबीडीटी के हवाले से बताया गया था कि कर चोरी करने वाले रसूखदारों के यहां से संदिग्ध भुगतानों सहित 14.6 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी मिली थी। तब डायरी और कंप्यूटर फाइलें बरामद की गई थीं। इसकी रिपोर्ट सीबीडीटी ने चुनाव आयोग को सौंपी थी। सूत्रों के मुताबिक इसमें 20 करोड़ रुपये की नकदी तुगलक रोड स्थित आवास से एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय पहुंचाई गई थी। छापे में ट्रांसफर, पोस्टिंग से जुड़े लेन-देन के दस्तावेज भी मिले थे। इसमें यह बात भी सामने आई थी कि लगभग 281 करोड़ रुपये जमा किए गए और हवाला के माध्यम से रकम को इधर-उधर भेजी गई।

निशाने पर तीन आइपीएस

न्यूज एजेंसी प्रेट्र के मुताबिक चुनाव आयोग ने 28 अक्टूबर, 2020 को सीबीडीटी रिपोर्ट की प्रतिलिपि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्य प्रदेश को निर्वाचन सहित अन्य प्रासंगिक कानून में आपराधिक कार्रवाई करने के लिए भेजने के निर्देश दिए थे। चुनाव आयोग के अवर सचिव पवन दीवान ने बुधवार को प्रेसनोट जारी किया, जिसमें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने को कहा गया है। इनकी 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के इस्तेमाल में कथित भूमिका आयकर विभाग की कार्रवाई में सामने आई थी। 

केंद्रीय गृह सचिव को भी निर्देश 

आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव को आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सीबीडीटी की रिपोर्ट ने आयोग को कुछ संस्थाओं और व्यक्तियों के बारे में सूचित किया है, जो बेहिसाब नकदी जमा करने में शामिल थे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दर्ज करानी है FIR

चुनाव आयोग ने मप्र की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) वीरा राणा से कहा है कि सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर जो अन्य रसूखदार इस कृत्य में शामिल हैं, उनके नाम चिह्नित कर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराएं। इस बारे में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और वीरा राणा से बातचीत करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने ना तो फोन पर जवाब दिया और ना ही एसएमएस का उत्तर आया।

छवि खराब करने की साजिश

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि यह पुराना और खत्म हो चुका झूठा मामला है। भाजपा जानबूझकर कांग्रेस की छवि को खराब करने के लिए साजिश कर रही है। यदि इस मामले में सच्चाई होती तो जिन्हें अब दोषी बताया जा रहा है, उन लोगों पर पहले ही कार्रवाई हो गई होती।


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