पूर्वी राज्यों ने गरीबों के पोषण से मुंह फेरा, रियायती दर पर दालें खरीदने में नहीं दिखा रहे रुचि
नैफेड के मुताबिक सालभर में कुल 34.88 लाख टन दालें राशन प्रणाली के तहत बेची जाएंगी।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश के पूर्वी राज्यों ने बफर स्टॉक की रियायती दर वाली दालें खरीदने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। जबकि इन राज्यों की गरीब आबादी को दालों की सर्वाधिक जरूरत है। इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर केंद्र ने दालें खरीदने का आग्रह किया है। बफर स्टॉक में ये दालें पिछले साल की हैं।
केंद्र ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर दालें उठाने का किया अनुरोध
केंद्रीय बफर स्टॉक में फिलहाल 42 लाख टन दालें हैं, लेकिन केवल 34.88 लाख टन दालें ही खुले बाजार और राशन प्रणाली के तहत बेची जानी है। कृषि मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय ने संयुक्त रूप से एक योजना के तहत दालों की आपूर्ति राशन प्रणाली के मार्फत करने का फैसला किया है। इसमें उपभोक्ताओं को दालों की आपूर्ति 15 रुपये प्रति किलो की रियायत के साथ की जाएगी।
दालों के मूल्य राज्यवार जहां अलग होंगे, वहीं मूल्य का निर्धारण दालों की प्राथमिक खरीद कीमत के आधार होगी। यानी खरीद मूल्य में 15 रुपये की कटौती का फैसला लिया गया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने पूर्वी राज्यों समेत देश के सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर रियायती दरों वाली दालें खरीदने का अनुरोध किया है। इससे गरीबों को पौष्टिक खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। अभी तक छह राज्यों ने आगे बढ़कर बफर स्टॉक की दालें खरीदने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
इन राज्यों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने दाल खरीदने की पेशकश के साथ एडवांस धनराशि भी जमा करा दी है। उम्मीद की जा रही है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह तक उनकी डिलीवरी शुरु हो जाएगी। इन राज्यों को पहली खेप में कुल 1.31 लाख टन दालें भेजी जाएंगी। जबकि नवंबर माह में उनकी मांग में और इजाफा होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से पूरे साल भर के लिए दालें खरीदने का प्रस्ताव किया है।
नैफेड के मुताबिक सालभर में कुल 34.88 लाख टन दालें राशन प्रणाली के तहत बेची जाएंगी। अक्टूबर माह में कुल नौ राज्यों इच्छा जताई, लेकिन केवल छह राज्यों ने ही दालें खरीदने के अनुबंध को पूरा किया। उम्मीद है कि नवंबर में कुछ और राज्य इससे जुड़ेंगे, लेकिन पूर्वी राज्यों की ओर से इस संबंध में कोई सुगबुगाहट तक नहीं हो रही है।