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सुषमा स्वराज का विदेश दौराः कंबोडिया में शिव मंदिर के जीर्णोद्धार में सहयोग देगी सरकार

बुधवार को सुषमा स्वराज ने कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन-सेन से मुलाकात की।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 05:13 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:21 AM (IST)
सुषमा स्वराज का विदेश दौराः कंबोडिया में शिव मंदिर के जीर्णोद्धार में सहयोग देगी सरकार

नामपेन्ह [प्रेट्र]। कंबोडिया यात्रा पर पहुंचीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को अपने कंबोडियाई समकक्ष से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर विस्तार से चर्चा की। दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई और दो समझौतों पर दस्तखत किए हैं। इनमें से एक समझौता प्राचीन शिव मंदिर के जीर्णोद्धार और उसके रखरखाव का है।

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पूर्वी एशिया के दौरे के अंतिम चरण में स्वराज कंबोडिया पहुंची हैं। वहां उन्होंने कंबोडिया के विदेश मंत्री प्राक सोकहॉन से आपसी हितों के मुद्दों पर बात की। प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई इस बातचीत में सहयोग को व्यापक करने पर सहमति बनी। यह जानकारी नामपेन्ह स्थित भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट के जरिये दी है। वार्ता के बाद स्वराज ने प्रधानमंत्री हुन सेन और संसद के अध्यक्ष साय चुम से भी मुलाकात की। वियतनाम की यात्रा पूरी कर स्वराज मंगलवार को कंबोडिया पहुंची हैं।

दोनों देशों के बीच कंबोडिया के प्रेह वीहियर स्थित भगवान शिव के मंदिर के संरक्षण और रखरखाव का समझौता हुआ है। मंदिर की इमारत का दोनों देशों के विशेषज्ञ मिलकर संरक्षण करेंगे। 11 वीं सदी का यह मंदिर कंबोडिया के पठारी इलाके में स्थित है और यह विश्व विरासत स्थल है।

दूसरा समझौता भारत के विदेश सेवा संस्थान और कंबोडिया के राष्ट्रीय कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान के बीच सहयोग को लेकर हुआ है। भारतीय संस्थान की स्थापना 1986 में हुई थी और इसमें खासतौर पर विदेश सेवा के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। जबकि कंबोडियाई सरकार ने भी इसी उद्देश्य से अपने यहां के संस्थान की स्थापना की थी। भारत और कंबोडिया के बीच लंबे अर्से से दोस्ताना रिश्ते हैं। दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों की नींव सन 1952 में पड़ी थी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव का कंबोडिया सन 2000 से लगातार समर्थन कर रहा है। उल्लेखनीय है कि कंबोडिया और वियतनाम दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के सहयोग संगठन आसियान के प्रभावशाली सदस्य हैं।


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