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पाक की दोहरी नीति उजागर, जाधव मामले में आर्मी एक्ट में संशोधन के लिए सेना ने किया इन्कार

पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता ने देर शाम यह साफ कर दिया कि कुलभूषण जाधव को कानूनी राहत देने संबंधी सूचना गलत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 08:58 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 08:58 PM (IST)
पाक की दोहरी नीति उजागर, जाधव मामले में आर्मी एक्ट में संशोधन के लिए सेना ने किया इन्कार
पाक की दोहरी नीति उजागर, जाधव मामले में आर्मी एक्ट में संशोधन के लिए सेना ने किया इन्कार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुलभूषण जाधव मामले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) के फैसले के आने के चार महीने बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान सरकार फैसले के मुताबिक उचित कदम नहीं उठा रही है। दूसरी तरफ मीडिया के जरिए जाधव मामले पर अफवाह फैलाने का काम जरुरी जारी है। पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता ने देर शाम यह साफ कर दिया कि कुलभूषण जाधव को कानूनी राहत देने संबंधी सूचना गलत है।

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पाकिस्तान सेना ने इमरान सरकार को दिखाया आईना

बुधवार को पहले पाकिस्तान मीडिया में यह खबर दिखाई गई कि कुलभूषण जाधव को अपनी फांसी की सजा के खिलाफ वहां के सिविल कोर्ट में मामला दायर करने की अनुमति दी जा सकती है। इसके लिए आर्मी एक्ट की संबंधित धारा में संशोधन किया जाएगा। इसको लेकर पाकिस्तान मीडिया में दिन भर चर्चा रही कि किस तरह से यह फैसला जाधव के अलावा हजारों आम पाकिस्तानी नागरिकों को भी राहत देगा, लेकिन देर शाम तक पाकिस्तान सेना ने इस तरह की खबरों पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया कि उसकी ऐसी कोई मंशा नहीं है। जाधव को लेकर चल रहे मामले में दूसरे विकल्पों पर विचार करने का संकेत जरुर दिया गया है।

पाक को जाधव के खिलाफ पारदर्शी तरीके से कानूनी प्रक्रिया चलानी है

माना जा रहा है कि पाकिस्तान सेना की तरफ से आर्मी एक्ट में संशोधन को लेकर पब्लिक का मूड भांपने के लिए यह खबर लीक की गई है। वैसे भी आईसीजे के फैसले के मुताबिक पाकिस्तान सरकार को भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी जाधव के खिलाफ पारदर्शी तरीके से और विएना समझौते के मुताबिक कानूनी प्रक्रिया चलानी है। अगर संशोधन होता है तो इसके आधार पर पाकिस्तान के सिविल कोर्ट में भारत भी जाधव को कानूनी मदद उपलब्ध करा सकेगा।

जाधव को कानूनी राहत देने संबंधी सूचना गलत- पाक सेना

पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता ने देर शाम यह साफ कर दिया कि कुलभूषण जाधव को कानूनी राहत देने संबंधी सूचना गलत है। इस मामले में विचार के लिए कई कानूनी विकल्प मौजूद हैं जिन पर विचार किया जा रहा है और इनके बारे में समय आने पर सूचना दी जाएगी।

भारत ने पाक के कदम पर नहीं दी कोई प्रतिक्रिया

भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। अधिकारियों का कहना है कि एक बार इस बारे में सरकार के फैसले को सार्वजनिक होने के बाद ही प्रतिक्रिया देना सही रहेगा। साथ ही यह भी देखना होगा कि उक्त संशोधन से जाधव मामले पर क्या असर होता है या नहीं।

पाक की सैन्य अदालत ने जाधव को 2017 को दी थी फांसी की सजा

सनद रहे कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 10 अप्रैल, 2017 को जाधव को जासूसी व आतंकी गतिविधियों को समर्थन करने के आरोप में फांसी की सजा दे दी थी। भारत ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी और उसे कंगारू कोर्ट की तरफ से दी गई सजा करार दिया था। उसके बाद वहां की सैन्य अपीलीय अदालत ने जाधव की तरफ से दायर अपील को भी ठुकरा दिया। उसके बाद जाधव ने आर्मी चीफ जेनरल कमर जावेद बाजवा के यहां अपील दायर की जो अभी तक लंबित है।

आइसीजे ने जुलाई, 2019 में जाधव की सजा पर लगाई रोक

इसी बीच भारत इस मामले को आइसीजे में ले गया। आइसीजे ने जुलाई, 2019 में जाधव को दी गई सजा पर रोक लगाने के साथ ही उनके खिलाफ पारदर्शी तरीके से और विएना समझौते के मुताबिक कानूनी प्रक्रिया चलाने का फैसला दिया।

पाकिस्तान के जेल में बंद जाधव को भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों की पहुंच देने के आइसीजे के फैसले का पालन पाकिस्तान सरकार ने काफी ही-हुज्जत के बाद सितंबर, 2019 में किया, लेकिन उस मुलाकात की व्यवस्था को लेकर भारत बहुत संतुष्ट नहीं था क्योंकि उसे आइसीजे के फैसले के मुताबिक स्वतंत्र माहौल में नहीं करवाया गया था।

पाकिस्तान आइसीजे के फैसले का पालन करे- भारत

कुछ हफ्ते पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत चाहता है कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव मामले में पूरी तरह से आइसीजे के फैसले का पालन करे। राजनयिकों के जरिए भारत लगातार पाकिस्तान के संपर्क में भी है। भारत पहले से ही यह कहता रहा है कि जाधव को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने ईरान से अगवा किया है।


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