Move to Jagran APP

MP Politics: सिंधिया के भाषणों में नहीं चढ़ रहा भाजपा का रंग, पार्टी हाईकमान चिंतित

सिंधिया राम मंदिर अनुच्छेद-370 तीन तलाक और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन की सोच को जुबान पर लाने में संकोच क्यों कर रहे हैं?

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 06:35 PM (IST)
MP Politics: सिंधिया के भाषणों में नहीं चढ़ रहा भाजपा का रंग, पार्टी हाईकमान चिंतित
MP Politics: सिंधिया के भाषणों में नहीं चढ़ रहा भाजपा का रंग, पार्टी हाईकमान चिंतित

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए भले ही छह महीने गुजर चुके हैं, मगर उनके भाषणों में अब तक भाजपा का रंग नहीं चढ़ पा रहा है। राज्यसभा सदस्य सिंधिया के भाषणों का केंद्र केवल कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ही रहते हैं।

loksabha election banner

संघ की प्राथमिकता और मोदी सरकार की सफलताओं का नहीं करते जिक्र

पार्टी हाईकमान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सिंधिया राम मंदिर, अनुच्छेद-370, तीन तलाक और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन की सोच को जुबान पर लाने में संकोच क्यों कर रहे हैं? वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्राथमिकता और नरेंद्र मोदी सरकार की सफलताओं का जिक्र नहीं करते हैं।

27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के केंद्र में सिंधिया ही हैं

मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के केंद्र में सिंधिया ही हैं। चुनाव परिणामों का दारोमदार भी सिंधिया पर ही है। उधर, उपचुनाव में भाजपा स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रवाद पर जोर देने की रणनीति पर चल रही है।

सिंधिया के भाषण का रंग-रूप बदलकर भाजपा एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है

दरअसल, सिंधिया के भाषण का रंग-रूप बदलकर भाजपा एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है। पहला, लोगों में यह संदेश जाए कि भाजपा में आने वाले दूसरे दलों के नेता अवसरवादी न होकर पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होते हैं, जो इसे आत्मसात भी करते हैं। दूसरा, सियासी नफा यह है कि उपचुनाव के बाद सत्ता बरकरार रहने की स्थिति में पार्टी दावा कर सकेगी कि राममंदिर मामले पर मप्र ने बतौर धन्यवाद भाजपा को प्रदेश की सत्ता का उपहार दिया है।

सिर्फ सिंधिया के लिए परीक्षा की घड़ी नहीं, बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा की भी अग्निपरीक्षा है

इस बीच पार्टी की चिंता यह है कि यदि उपचुनाव के परिणाम प्रतिकूल आए तो देशभर का राजनीतिक संतुलन बिगड़ जाएगा। ऐसे में यह सिर्फ सिंधिया के लिए परीक्षा की घड़ी नहीं है, बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा की भी अग्निपरीक्षा है।

16 सीटों पर सिंधिया का प्रभाव माना जाता है, 19 साल तक कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में रहे

27 में से 16 सीटों पर स्पष्ट तौर पर सिंधिया का प्रभाव माना जाता रहा है। उनके कांग्रेस में रहते हुए भी इन सीटों की जिम्मेदारी उनके पास ही थी और अब भाजपा भी उन्हें आगे रखकर चल रही है। सिंधिया की दिक्कत यह है कि बचपन से लेकर कांग्रेस छोड़ने तक उन्हें जो माहौल मिला, वह कांग्रेस परिवेश का रहा है। वे 19 साल तक कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में रहे। यही वजह है कि उनके भाषणों में मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों से लेकर संघ के हार्डकोर मुद्दे तक सुनाई नहीं देते।

केवल कांग्रेस और कमल नाथ पर ही हमलावर रहते हैं सिंधिया

सिंधिया की अलग अंदाज की आक्रामक शैली है, जिसे वे 2018 में भाजपा के खिलाफ धारदार रखते थे और अब कांग्रेस के खिलाफ। इस फेर में वे भाषण के अधिकांश हिस्से में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के आरोपों का जवाब देते हैं। यह समझाने की कोशिश करते हैं कि वे और उनके समर्थक पूर्व विधायक गद्दार नहीं हैं। शायद यही भाजपा के दिग्गजों की चिंता का कारण भी है कि सिंधिया के सफाई देने से कांग्रेस का गद्दार एजेंडा उपचुनाव वाले क्षेत्रों में जड़ें न जमा ले।

विकास और विचारधारा के मुद्दे पर भाजपा के नेता जनता को संबोधित कर रहे हैं। आने वाले समय में राष्ट्रवाद के मुद्दों को भी उठाया जाएगा। सिंधिया जी भी उन नेताओं में से एक होंगे- रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, मप्र भाजपा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.