येदियुरप्पा कैबिनेट में कांग्रेस के बागियों को मंत्री बनाने पर कर्नाटक भाजपा में असंतोष
बृहस्पतिवार को हुए कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं बना पाने वाले विधायकों को अब निगमों और बोर्ड के चेयरमैन पद की उम्मीद है।
बेंगलुरू (आइएएनएस)। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की भाजपा सरकार में कांग्रेस से आए बागियों को मंत्री बनाने पर पार्टी के अंदर असंतोष पैदा हो गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ और निष्ठावान विधायकों को मंत्री पद के लिए तवज्जो नहीं दिए जाने से उनमें निराशा का माहौल है।
येदियुरप्पा कैबिनेट में बृहस्पतिवार को किए गए विस्तार में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 10 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। इस पर पार्टी के वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि उनकी वर्षों की सेवा की अनदेखी की गई और उनकी कीमत पर कांग्रेस के बागियों को मंत्री पद से नवाजा गया।
नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायकों को मंत्री बनाने का भारी दबाव था क्योंकि वे इसी शर्त पर पार्टी में शामिल हुए थे और चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
सूत्रों के अनुसार, मार्च में विधानसभा के बजट सत्र से पहले कैबिनेट में एक और विस्तार की संभावना है, लेकिन इस विस्तार में सिर्फ छह विधायकों को मंत्री पद मिल सकता है क्योंकि नियमानुसार राज्य मंत्रिमंडल में 34 सदस्य ही हो सकते हैं। अब कैबिनेट में बचे इन छह पदों के लिए लाबिंग तेज हो गई है। पार्टी विधायकों का मानना है कि अगर अब मंत्री नहीं बने तो फिर 2023 में इस विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले दोबारा मौका नहीं मिलेगा।
बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार को 10 नहीं बल्कि 13 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जानी थी। बुधवार की रात को राज्यपाल वजूभाई वाला के पास इन सभी 13 विधायकों के नाम भी भेजे गए थे, लेकिन पार्टी में बगावत की आशंका के मद्देनजर तीन विधायकों का नाम काट दिया गया। अब इन असंतुष्ट विधायकों को मनाने का जिम्मा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील को सौंपा गया है। इन विधायकों को मनाने के लिए उन्हें कैबिनेट रैंक के साथ राज्य के निगमों और बोर्डों के अध्यक्ष पद पर बिठाया जा सकता है।
मालूम हो कि कांग्रेस के 13 और जद एस के चार विधायकों यानी कुल 17 विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इनमें 13 लोगों ने पिछले साल 5 दिसंबर को हुए उप चुनाव में किस्मत आजमाई थी और उनमें से 11 लोगों को जीत मिली थी, जबकि दो हार गए थे।