दिग्विजय सिंह का विवादास्पद बयान, ...तो यह साबित होगा धर्मनिरपेक्षता पर अंतिम कील
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएए को मोदी सरकार का असंवैधानिक कानून बताया है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएए को मोदी सरकार का असंवैधानिक कानून बताया है। उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान घबराया, डरा हुआ और निराश है। उसने राजनीतिक दलों, नेताओं, पुलिस से उम्मीद छोड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट में उम्मीद की अंतिम किरण दिखाई दे रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने सीएए को कायम रखा तो यह देश की धर्मनिरपेक्षता पर अंतिम कील साबित होगा। दिग्विजय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया और कहा कि दिग्विजय सिंह का बयान भड़काने व उकसाने वाला है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सीएए के खिलाफ जो आंदोलन चल रहा है, वह अब न तो राजनीतिक दलों के हाथ में रहा, न नेताओं के बस में रहा। आंदोलन छात्र, अल्पसंख्यक महिलाएं व बच्चे कर रहे हैं। उनमें व्याप्त रोष का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
देविंदर सिंह मोदी-शाह के लिए देशद्रोही नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी-शाह की देशद्रोही व देशभक्त के अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग मायने हैं। डीएसपी देविंदर सिंह को ये लोग देशद्रोही नहीं मानते, जबकि उसने अफजल गुरु के माध्यम से संसद पर हमला करने वाले आतंकियों की सहायता की थी। मध्य प्रदेश में पैसा लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को सूचनाएं बेचने वाले लोग देशद्रोही हैं, लेकिन मोदी-शाह की नजर में दिग्विजय सिंह देशद्रोही हैं।
हनी ट्रैप में कमलनाथ 'सिंघम' बनते तो कोई नहीं बचता
मप्र में माफियाओं के खिलाफ चल रहे अभियान को लेकर दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 'सिंघम' बताया। जब उनसे पूछा गया कि कमलनाथ हनी ट्रैप मामले में 'सिंघम' जैसे क्यों नहीं बने? जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि यदि वे इस मामले में भी सिंघम बनते तो ब्यूरोक्रेट, नेता, पुलिस और पत्रकार, कोई नहीं बचता।
दिग्विजय-असलम शेर खान यात्रा निकालेंगे
दिग्विजय सिंह ने सीएए को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान के साथ यात्रा निकालने का एलान किया। वे बोले, जिस तरह गांधीजी ने हिंदू-मुस्लिम एकता की लड़ाई लड़ी, उसी तरह अपनी यात्रा में वे ऐसा ही संदेश देंगे। यात्रा निकाले जाने के एलान पर असलम शेर खान ने कहा कि 1975 में जिस तरह हॉकी के मैच में अंतिम मौके पर मैदान में उतारा गया और मैंने टीम को जीत दिलाई थी, उसी तरह अब देश की एकता-अखंडता को बचाने के लिए एक बार मौका मिला है।