महाराष्ट्र में अजीत पवार के एनसीपी विधायक दल के नेता के दर्जे पर विशेषज्ञों में अलग-अलग राय
राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेन्द्र नारायण का कहना है कि औपचारिक रूप से विधायक दल के नेता का चुनाव विधायकों के शपथ लेने के बाद तय होता है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के शक्ति परीक्षण को लेकर जहां एक ओर अटकलों का बाजार गर्म है वहीं इसके कानूनी पहलुओं को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है। एक पक्ष अजीत पवार के दावे के साथ खड़ा है और उसका कहना है चूंकि अजीत पवार राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपते वक्त विधायक दल के नेता थे और उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया है ऐसे में उनका विधायक दल के नेता का दर्जा जारी रहेगा और उनके आदेश को ही व्हिप माना जाएगा जबकि दूसरे पक्ष का मानना है कि यह शपथ ग्रहण के बाद विधायक दल की बैठक के बाद तय होगा कि कौन व्हिप है।
एनसीपी के विधायक दल के नेता की हैसियत से सौंपा था राज्यपाल को समर्थन पत्र
वैसे तो महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस सरकार के सदन में बहुमत साबित करने यहां तक कि उसके तौर तरीके तय करने तक का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा, लेकिन फिर भी परिस्थितियों को देखते हुए दोनों पक्षों की ओर से किये जा रहे परस्पर विरोधी दावों के बीच कानूनी पहलू खंगालना लाजिमी हो जाता है। अजीत पवार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को फडणवीस सरकार को समर्थन देने का जो पत्र राज्यपाल को सौंपा था वह उन्होंने एनसीपी के विधायक दल के नेता की हैसियत से सौंपा था। उनका दावा है कि उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया और उन्हें सरकार गठन के बारे में फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया।
अजीत का एनसीपी विधायक दल नेता का दर्जा सदन में बहुमत पर मतदान तक रहेगा
अजीत पवार की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भी दावा किया गया कि वही एनसीपी हैं और वही उसकी ओर से फैसला लेने के लिए अधिकृत हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अजीत पवार का एनसीपी विधायक दल का नेता होने का दर्जा सदन में बहुमत साबित करने के लिए होने वाले मतदान तक जारी रहेगा। इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के वकील डीके गर्ग कहते हैं कि निश्चित तौर पर अजीत पवार का विधायक दल के नेता का दर्जा सदन में बहुमत साबित होने तक जारी रहेगा और वह पार्टी के विधायकों को व्हिप जारी कर सकते हैं।गर्ग का कहना है कि कानून की निगाह में देखा जाए तो जिस दिन उन्होंने राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपा उस दिन वह एनसीपी विधायक दल के नेता थे। इसके बाद अभी तक उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया है यानी वे पार्टी के सदस्य हैं। ऐसे में सदन मे बहुमत पर होने वाले मतदान तक उनकी राज्यपाल को दिये गये पत्र के मुताबिक एनसीपी विधायक दल के नेता की हैसियत और दर्जा जारी रहेगा।
अजीत पवार को व्हिप जारी करने का अधिकार है- गर्ग
गर्ग यह भी कहते हैं कि उन्हें व्हिप जारी करने का अधिकार है और उनका जारी व्हिप न मानने वाले दल बदल कानून के तहत आ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो अजीत पवार के फैसले के खिलाफ वोट करने वाले एनसीपी सदस्यों की सदस्यता चली जाएगी और विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा भी बदल जाएगा। सोमवार को कोर्ट मे बहस के दौरान एनसीपी के शरद पवार खेमे के वकील ने भी अजीत पवार के व्हिप जारी करने की आशंका जाताई थी और कोर्ट से प्रोटेम स्पीकर से ही बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की थी।
विधायक दल के नेता का पद नंबर गेम का मामला है
नाम न छापने की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट के एक और वरिष्ठ वकील और कानूनविद कुछ इसी से मिलती जुलती बात कहते हैं। उनका कहना है कि राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपते समय अजीत पवार विधायक दल के नेता थे। इसके बाद सारा दारोमदार सदन में बहुमत पर निर्भर करेगा। तभी तय होगा कि किसके साथ कितने विधायक हैं। यह नंबर गेम का मामला है। दो तिहाई विधायक अगर अलग होते हैं तो सीन दूसरा होगा। सारी गणित उसी पर निर्भर करेगी।
विधायक दल के नेता का चुनाव विधायकों के शपथ लेने के बाद तय होता है
हालांकि राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेन्द्र नारायण इस मत से सहमति नहीं रखते। उनका कहना है कि औपचारिक रूप से विधायक दल के नेता का चुनाव विधायकों के शपथ लेने के बाद विधायक मंडल की बैठक में तय होता है और तभी चीफ व्हिप भी चुना जाता है और इस बारे में स्पीकर को औपचारिक पत्र देकर सूचित किया जाता है। ऐसा ही तर्क लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी का भी है वह भी कहते हैं कि विधायक दल का नेता चुनना हर पार्टी का अंदरूनी मामला होता है। विधायक दल का नेता चुनने का औपचारिक पत्र स्पीकर को दिया जाता है। और तभी चीफ व्हिप भी चुना जाता है।