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पढ़ाई भी-कमाई भी के मंत्र के साथ होगा कौशल विकास, 5000 शिक्षण संस्थानों में इसी सत्र में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट

शिक्षा और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि देश के युवाओं के कौशल विकास में पढ़ाई भी-कमाई भी नया मंत्र होगा। इसके लिए इसी सत्र से देश के 5000 शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थाओं में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:18 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 12:29 AM (IST)
पढ़ाई भी-कमाई भी के मंत्र के साथ होगा कौशल विकास, 5000 शिक्षण संस्थानों में इसी सत्र में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि देश के युवाओं के कौशल विकास में पढ़ाई भी-कमाई भी नया मंत्र होगा।

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। देश के युवाओं के कौशल विकास में पढ़ाई भी-कमाई भी, नया मंत्र होगा। इसके लिए इसी सत्र से देश के 5000 शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थाओं में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। शिक्षा और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि इसके तहत पढ़ाई कर रहे छात्रों के साथ-साथ पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं को भी कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शुक्रवार को विश्वकर्मा दिवस पर आयोजित कौशलाचार्य पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति में छात्रों के कौशल विकास पर विशेष जोर दिया है।

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...ताकि 50 फीसद छात्रों को दी जा सके ट्रेनिंग 

केंद्रीय मंत्री के अनुसार इसके तहत अगले 25 सालों में ऐसी क्षमता का विकास करना है, जिससे 50 फीसद छात्र को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा सके। प्रधान ने कहा कि स्कूलों, कालेजों में पढ़ाये जाने वाले हर विषय को समाज में कार्यकारी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जरूरत है विषय से जुड़े कार्यकारी रूप के इस्तेमाल के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करने की। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार ने पूरे देश में शिक्षण संस्थानों में कौशल विकास का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया है।

ये संस्‍थान होंगे शामिल 

इन शिक्षण संस्थाओं में स्कूल, प्रशिक्षण संस्थान और उच्च शिक्षण संस्थान शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी शैक्षिक सत्र के दौरान 22 मार्च 2022 से पहले इसे शुरू कर दिया जाएगा। कौशल विकास से जुड़े अधिकारियों को संबोधित करते हुए धर्मेद्र प्रधान ने प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम तैयार करते समय स्थानीय के साथ-साथ वैश्विक जरूरतों को भी ध्यान में रखने को कहा है। कोरोना के बाद बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में पूरी दुनिया में नए प्रशिक्षित कामगारों की जरूरत बढ़ गई है।

स्‍थानीय भाषाओं में दिया जाए प्रशिक्षण

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षित भारतीय युवा इस जरूरत को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इसके साथ ही जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने में यह ध्यान रखना जरूरी है कि उस जिले में किस तरह के प्रशिक्षित कामगारों की जरूरत है। इसके साथ ही प्रधान ने कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल की जरूरत बताई, ताकि युवाओं को उनकी भाषा में प्रशिक्षित किया जा सके। लेकिन साथ ही उन्होंने तकनीकी शब्दावली से छेड़छाड़ को लेकर आगाह भी किया। उन्होंने कहा कि स्क्रू ड्राइवर को स्क्रू ड्राइवर ही कहा जाए। इसका स्थानीय भाषा में अनुवाद न किया जाए। 


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