तेजी से आगे बढ़ रहा ई-कामर्स लोकतंत्रीकरण विश्व को भारत का संदेश
ई-कामर्स का लोकतंत्रीकरण विश्व को भारत का संदेश है कि भारत का आत्मा लोकतंत्र में निहित है और ‘सबका साथ-सबका विकास’ भारत के समतामूलक विकास का मूल मंत्र। आशा है कि ओनएनडीसी की सफलता का परचम लहराएगा जैसे यूपीआइ की सफलता का प्रभाव तमाम क्षेत्रों में परिलक्षित हो रहा है।
शिवेश प्रताप। ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र को साधते हुए भारत आज एकीकृत व्यवस्थाओं के एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है, जहां से वह देशवासियों के जीवनस्तर में सुधार के साथ-साथ पारदर्शिता, सुरक्षा एवं जनकल्याण के महत्व को समझते हुए सामाजिक एवं आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। इसी क्रम में एक तेजी से उभर रहे क्षेत्र ई-कामर्स में पैदा हुई अपार संभावनाओं को सभी के लिए समान रूप से लाभकारी बनाने के लिए ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स (ओएनडीसी) के माध्यम से एक एकीकृत प्लेटफार्म के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। देश के पांच शहरों दिल्ली, भोपाल, शिलांग, बेंगलुरु और कोयंबटूर में इसे आरंभ किया गया है। आखिर भारत सरकार को इस व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ी?
एक संबंधित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में ई-कामर्स खुदरा बाजार में प्रति उपभोक्ता 50 डालर की आय थी, जिसके वर्ष 2024 तक डेढ़ गुना बढ़कर 75 डालर प्रति उपभोक्ता होने की संभावना है। भारत में ई-कामर्स उद्योग की शक्ति और प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां वर्ष 2018 में इसका मूल्य 22 अरब डालर का था, वहीं वर्ष 2027 में दस गुना से अधिक वृद्धि करते हुए इसके 200 अरब डालर के पार करने की उम्मीद है।
भारत में ई-कामर्स का यह विकास निश्चित तौर पर वर्ष 2027 में देश के पांच लाख करोड़ डालर अर्थव्यवस्था के सपने को पूरा करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम साबित हो सकता है। इसलिए सरकार इस दिशा में बहुत ही चैतन्य होकर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार की चिंता है कि इस 200 अरब डालर बाजार मूल्य में यदि जन भागीदारी सुनिश्चित नहीं होगी तो इसका लाभ बड़े कारोबारियों तक ही सीमित रह जाएगा। इससे बेरोजगारी की समस्या के बीच खड़े देश में लाखों छोटे व्यापारियों की आजीविका पर संकट उत्पन्न होना कोढ़ में खाज जैसी स्थिति पैदा कर सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार भारत अभी ई-कामर्स के ऐसे दौर में है, जहां पर पूरा बाजार केवल दो बड़ी कंपनियों के जबरदस्त प्रभाव में है। यदि दूसरे शब्दों में कहें तो ये ही दोनों कंपनियां अपने बड़े आर्थिक निवेश के बल पर ई-कामर्स को अपने हिसाब से बड़े लाभों के लिए प्रयोग कर रही हैं। इस तथ्य को आप स्वयं अपने उस अनुभव से समझ सकते हैं कि जब आप कोई स्मार्टफोन खरीदने के लिए किसी दुकान पर जाते हैं और दुकानदार उसकी कीमत संबंधित वेबसाइट पर बताए गए मूल्य से अधिक बताता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बड़ी कंपनियां आरंभिक वर्षो में तब तक बाजार में पैसा निवेश करके छूट देती हैं, जब तक खुदरा दुकानदारों की कमर न टूट जाए। फिर वे धीरे-धीरे निवेश के दौर से बाहर निकल कर लाभ की अवस्था में आ जाती हैं। ऐसे में भारत में डिजिटल मार्केट की संभावनाएं कितनी असीम हैं, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
वर्तमान केंद्र सरकार ने भी इस तथ्य को समग्रता में समझा है। लिहाजा भविष्य की समस्याओं का अनुमान लगाते हुए वह उनके निवारण की दिशा में कार्य कर रही है। यही कारण है कि भारत के कुल खुदरा बाजार में ई-कामर्स की वर्तमान के छह प्रतिशत हिस्सेदारी को भी भारत सरकार खुदरा व्यापारियों के लिए एक संभावित संकट मानकर कुछ बड़ी कंपनियों के एकाधिकार को भंग करने और खुदरा व्यापारियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है।
सरकार ने अपने अध्ययन में पाया कि ई-कामर्स में उपभोक्ता भी केवल वही सामान खरीद पा रहा है जिसे कंपनियां अपने डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से खरीद हेतु ग्राहक को प्रेरित करती हैं। यह बाजार में एक बड़ी असमानता को इंगिर करता है। इन समस्याओं के एकीकृत समाधान के लिए 31 दिसंबर 2021 को निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले एक गैर-लाभकारी संगठन ‘ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स’ (ओएनडीसी) का गठन, क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा किया गया। आने वाले समय में देश के भीतर ई-कामर्स में सबके बराबर व्यापार के अधिकार को यही संस्था सुनिश्चित करेगी।
जन सुविधा केंद्र और ओएनडीसी : केंद्र सरकार की योजना है कि ओएनडीसी को जन सुविधा केंद्रों से जोड़कर देश के कोने कोने में इसके व्यापक प्रभाव को पहुंचाया जाए। जन सुविधा केंद्र सभी विक्रेताओं को लोजिस्टिक्स कंपनियों से जोड़ने में भी सहयोग करेंगे जिससे ग्रामीण स्तर पर युवाओं को रोजगार मिल सकता है। साथ ही मांग और पूर्ति के विकेंद्रीकरण से बिचौलियों और मुनाफाखोरी से मुक्ति मिल सकती है। जन सुविधा केंद्र से देश भर के तीन लाख से अधिक ग्रामीण ई-स्टोर में छह से नौ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही ग्राम स्तरीय स्वरोजगार के विकास में भी ओएनडीसी मील का पत्थर साबित होगा।
दरअसल ओएनडीसी एपीआइ आधारित एक ऐसा टूल है जिसमें किसी भी ई-कामर्स प्लेटफार्म के उत्पाद को किसी दूसरे ई-कामर्स प्लेटफार्म के ग्राहक द्वारा खरीदा जा सकता है। संबंधित उच्चतम मानकों पर विकसित यह प्लेटफार्म खुदरा बाजार एवं ई-कामर्स के मानकीकरण का भी कार्य कर रहा है, ताकि हर संबंधित व्यापारी और खरीदार नियमों का पालन कर स्वयं को किसी भी प्लेटफार्म पर रजिस्टर कर सके। इससे भविष्य में होने वाली विविध प्रकार की धोखाधड़ी की आशंका का न्यूनतम किया जा सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षो में डिजिटल प्लेटफार्म पर वर्तमान 15 हजार विक्रेताओं की संख्या को बढ़ाकर 20 लाख तक किया जाए। आशा है कि ओनएनडीसी की सफलता का परचम वैसे ही लहराएगा, जैसे ‘आधार’ और ‘यूपीआइ’ की सफलता का प्रभाव तमाम क्षेत्रों में परिलक्षित हो रहा है।
[आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन सलाहकार]