जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की मांग, राज्यसभा में उठा मसला
बसपा सदस्य राजाराम ने कहा कि इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी 17 फीसद है। जबकि आरक्षण का प्रावधान सिर्फ 8 फीसद है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आरक्षण की व्यवस्था को तर्कसंगत बनाकर दूसरे राज्यों के समान करने की मांग का मुद्दा शनिवार को राज्यसभा में उठाया गया। बहुजन समाज पार्टी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मसले को उठाते हुए सरकार से अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग की। बसपा के सदस्य राजाराम ने कहा कि जम्मू में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 35 फीसद है, जबकि उन्हें केवल दो फीसद आरक्षण की ही सुविधा प्राप्त है। इसके विपरीत देश के दूसरे राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 15 फीसद तो कहीं 28 फीसद भी है।
बसपा सदस्य ने कहा कि इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी 17 फीसद है। जबकि आरक्षण का प्रावधान सिर्फ 8 फीसद है। इसके मुकाबले दूसरे राज्यों में यह व्यवस्था 15 फीसद है। बसपा नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलो वाली कानूनी धारा 370 हटाने के मुद्दे पर बसपा ने सरकार का साथ दिया था। बसपा की मांग है कि वहां अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के हितों का ध्यान रखते हुए आरक्षण के प्रावधान को तर्कसंगत बनाया जाए।
सालभर बीत जाने के बाद ओबीसी और एससी वर्ग को नहीं मिला आरक्षण
बसपा सदस्य राजाराम ने कहा कि धारा 370 हटाने के समय संसद में हुई चर्चा में उनकी पार्टी ने यह कहते हुए सरकार की पहल का साथ दिया था कि विशेष राज्य होने की वजह से वहां की अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा था। लेकिन सालभर बीत जाने के बावजूद ओबीसी और एससी वर्ग को उनका हक नहीं मिल रहा है। सदन में ज्यादातर सदस्यों ने अपने को इस मसले का समर्थन किया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इस मसले को महत्वपूर्ण बताते हुए सदन में मौजूद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी से इस मामले को देखने और कारण का पता करने का कहा।