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पाक को आतंकी फंडिंग पर फिर मिली चेतावनी, एफएटीएफ ने कहा- अक्टूबर तक आतंक फंडिंग रोकना होगा

एफएटीएफ अगर पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है यह उसकी बदहाल आर्थिक स्थिति के लिए बहुत बुरी खबर होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 07:36 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 07:36 PM (IST)
पाक को आतंकी फंडिंग पर फिर मिली चेतावनी, एफएटीएफ ने कहा- अक्टूबर तक आतंक फंडिंग रोकना होगा
पाक को आतंकी फंडिंग पर फिर मिली चेतावनी, एफएटीएफ ने कहा- अक्टूबर तक आतंक फंडिंग रोकना होगा

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बाल-बाल बचे पाकिस्तान के हुक्मरान शायद यह उम्मीद लगा रहे होंगे कि अब जबकि इस अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की अध्यक्षता उनके मित्र देश चीन के हाथ में आ गई है इसलिए उसे आगे राहत मिल सकती है, लेकिन हकीकत यह है कि पहले ही एफएटीएफ ने आतंकी फंडिंग रोकने पर जिस तरह की कड़ी शर्ते पाकिस्तान पर लगा रखी है उससे निजात पाने की राह आसान नहीं होगी।

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एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग रोकने पर दिए गए निर्देशों का पालन निर्धारित समय (मई, 2019) तक करने में असफल रहा है, ऐसे में उसे अक्टूबर, 2019 तक और कदम उठाने को कहा गया है। इसके साथ ही पाक को चेतावनी दी गई है कि अगर उसने संतोषप्रद कदम नहीं उठाये तो अगला कदम उठाया जाएगा जो प्रतिबंध करने का भी हो सकता है।

एफएटीएफ यानी फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक शुक्रवार को अमेरिका के ओरलैंडो में समाप्त हुई है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग रोकने पर की जा रही लापरवाही पर जम कर लताड़ लगाई है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ की तरफ से दिए काम को तो पाकिस्तान को जनवरी, 2019 तक पूरा करना था जिसे वह नहीं कर पाया है। यही नहीं पाकिस्तान सरकार की तरफ से जो कार्य योजना दी गई थी उसका पालन भी मई, 2019 तक नहीं हो पाया है। ऐसे में उसे तीन महीने का समय और दिया गया है।

एफएटीएफ की अगली बैठक अक्टूबर, 2019 में होगी। अभी पाकिस्तान को निगरानी सूची में रखा गया है। अगर इस बार भी वह उपयुक्त कदम नहीं उठा पाता है तो उस पर प्रतिबंध (काली सूची) लगने का डर है। पाकिस्तान को कुल मिला कर दस कदम उठाने हैं जिसकी सूची उसे मई, 2018 में दी गई थी। इसमें अल-कायदा, जैश ए मोहम्मद, जमात उल दावा समेत संयुक्त राष्ट्र से घोषित हर आतंकी संगठन या उससे जुड़े आतंकियों के परोक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर वित्तीय ढांचे को ध्वस्त करना होगा।

अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक अपने वित्तीय संस्थानों को तैयार करना होगा कि उनका फायदा कोई संगठन न उठा पाये, दुनिया के लिए खतरनाक साबित होने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ अपनी एजेंसियों की तैयारी जैसे ठोस कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान ने इस बारे में जो कदम उठाये हैं, उसको लेकर एफएटीएफ संतुष्ट नहीं है।

भारत ने भी यही बात कही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने उम्मीद जताई है कि एफएटीएफ के निर्देश के मुताबिक पाकिस्तान सरकार सितंबर, 2019 तक आतंकी संगठनों के खिलाफ दिखने वाला व निर्णायक कदम उठाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएगा। पाकिस्तान विश्व जनमत को देखते हुए अपनी जमीन को आतंकी कार्यो के लिए इस्तेमाल होने से रोकेगा।

भारत मानता है कि पाकिस्तान यह साबित करेगा कि उसकी एजेंसियां आतंकी फंडिंग के खिलाफ एकजुट हो कर कार्रवाई कर रही हैं। खास तौर इस तरह के संगठनों तक नकदी पहुंच को रोकने के लिए वहां के अधिकारी सख्त कदम उठा रहे हैं।

भारत की यह चिंता इसलिए भी है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन नकदी हस्तांतरण के लिए किसी वित्तीय संस्थान की नहीं बल्कि आपसी लेन देन का सहारा लेती हैं। इसलिए उनकी वित्तीय कमर नहीं टूट पा रही है। एफएटीएफ इसके लिए खास तौर पर दबाव बना रहा है।

एफएटीएफ अगर पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है यह उसकी बदहाल आर्थिक स्थिति के लिए बहुत बुरी खबर होगी। विदेशी कंपनियों के लिए वहां निवेश करना मुश्किल होगा। बीमा कंपनियां पाकिस्तान में कारोबार के लिए ज्यादा प्रीमियम लेने लगेंगी क्योंकि उसे एक ज्यादा जोखिम वाला बाजार माना जाएगा।

कौन कौन से देश है निगरानी सूची में

सनद रहे कि एफएटीएफ की इस बैठक में सर्बिया को निगरानी सूची से बाहर करने का फैसला किया गया, लेकिन बोत्सवाना, यमन, ईरान, सीरिया, त्रिनिडाड व टोबैगो, इथोपिया, कंबोडिया जैसे 12 देशों के साथ पाकिस्तान को बनाए रखा गया है। सिर्फ ईरान और उत्तर कोरिया को इनसे खतरनाक माना गया है। 

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