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दो गज की जंग जीत मरीना बीच पर हमेशा के लिए सो गए करुणा

मंगलवार को 94 साल की उम्र में करुणानिधि ने अंतिम सांस ली, जिसके बाद बुधवार की शाम मरीना बीच पर उन्हें राजकीय सम्मान के साथ दफन किया गया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 08:16 AM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 07:25 AM (IST)
दो गज की जंग जीत मरीना बीच पर हमेशा के लिए सो गए करुणा
दो गज की जंग जीत मरीना बीच पर हमेशा के लिए सो गए करुणा

चेन्नई, प्रेट्र। भारत की राजनीति में लंबे समय तक क्षेत्रीय अस्मिता का झंडा बुलंद रखने वाले द्रमुक अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का बुधवार शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। हाई कोर्ट के दखल के बाद समुद्र की मचलती लहरों और समर्थकों के उमड़ते सैलाब के बीच द्रविड़ राजनीति का चमकदार सितारा मरीना बीच पर हमेशा के लिए सो गया।

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हालांकि, इसके लिए उनकी पार्टी को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। आखिरकार मद्रास उच्च न्यायालय ने पांच बार मुख्यमंत्री रहे और 13 विधानसभा चुनाव जीतने वाले करुणानिधि को बीच पर दफनाने का रास्ता साफ कर दिया। उनके अंतिम संस्कार के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, केरल के पी विजयन, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

94 वर्षीय करुणानिधि का मंगलवार शाम छह बजकर 10 मिनट पर चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया था। वह पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। मरीना बीच पर करुणानिधि को दफनाने के लिए द्रमुक की याचिका पर विशेष सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि इसमें कानूनी अड़चनें हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एचजी रमेश और न्यायमूर्ति एसएस सुंदर की पीठ ने कहा कि इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं है। याचिकाकर्ता द्वारा दी गई रूपरेखा के अनुसार सम्मानजनक ढंग से दफनाने के लिए फौरन स्थान मुहैया कराएं।

इससे पहले पारिस्थितिकी तथा अन्य चिंताओं को लेकर बीच पर दफनाने के खिलाफ पांच याचिकाएं वापस ले ली गई। पीठ ने कहा कि स्थान आवंटित करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। पहले ही सभी द्रविड़ नेताओं के लिए मरीना में स्थान आवंटित किया हुआ है। मौजूदा मामले में अलग रुख अपनाने की कोई जरूरत नहीं है। राजाजी हॉल में करुणानिधि के ताबूत के पास खड़े उनके बेटे और द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन फूट-फूटकर रो रहे थे। लेकिन, जब उन्हें हाई कोर्ट के फैसले की खबर लगी तो उनके मुरझाए चेहरे पर संतोष के भाव दिखे।

इससे पहले मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने राजाजी हॉल पहुंचे तो उन्हें 'वेंडम वेंडम, मरीना वेंडम' के नारे सुनने पड़े।सरकार ने यह हवाला देते हुए करुणानिधि को वहां दफनाने की मंजूरी देने से इन्कार कर दिया कि वे मौजूदा मुख्यमंत्री नहीं थे। अन्नाद्रमुक संस्थापक एमजी रामचंद्रन तथा उनकी शिष्या जे जयललिता को बीच पर इसलिए दफनाया गया क्योंकि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनका निधन हुआ था।

द्रमुक संस्थापक और करुणानिधि के मार्गदर्शक सीएन अन्नादुरई भी 1969 में निधन के समय मुख्यमंत्री थे। द्रमुक ने करुणानिधि को 'अन्ना समाधि' के पास दफनाने की अपील की थी। तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को दिवंगत मुख्यमंत्री के सम्मान में एक दिन की छुट्टी का एलान किया था। कुछ लोगों और निजी वाहनों को छोड़कर चेन्नई की सड़कें वीरान रही। सभी दुकानें तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे।

मोदी, राहुल ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत देश के विभिन्न राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सफेद रंग का कुर्ता और चूड़ीदार पहने हुए मोदी ने हाथ जोड़कर करुणानिधि की पत्नी राजति अम्मल से कुछ देर बात की। उन्होंने स्टालिन का हाथ पकड़ा और दोनों ने धीरे से बात की। राहुल गांधी ने करुणानिधि के पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाए। द्रमुक नेता के समर्थकों से लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों तक ने दिवंगत आत्मा को अंतिम विदाई दी। इनमें मुख्यमंत्री पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, लोकसभा उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई, सुपरस्टार रजनीकांत और कमल हासन भी वहां मौजूद रहे।

पैतृक गांव में शोक का माहौल
करुणानिधि के निधन की खबर उनके पैतृक गांव तिरुक्कुवलई पहुंचते ही वहां शोक की लहर दौड़ गई और बड़ी संख्या में लोग उनके पैतृक आवास पर पहुंचने लगे। गांववालों ने उनके आवास पर द्रमुक अध्यक्ष की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। करुणानिधि का जन्म तीन जून, 1924 को इसी गांव में हुआ था और उन्होंने यहीं अपना बचपन बिताया। उन्होंने गांव के ही पंचायत यूनियन मिड्ल स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की थी। बतौर मुख्यमंत्री 2009 में वह आखिरी बार गांव आए थे।

राजाजी हॉल में भगदड़ जैसे हालात
-दिवंगत नेता के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ इस कदर उमड़ी कि राजाजी हॉल में भगदड़ जैसे हालात बन गए।
-पुलिस ने कहा कि कई पुरुष और महिलाओं को इस दौरान धक्कामुक्की में हल्की चोट आई तो कुछ इस दौरान बेहोश हो गए।
-इस दौरान स्टालिन लोगों से शांति बनाए रखने और श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद शांतिपूर्ण तरीके से निकलने का अनुरोध करते रहे।
-पुलिस के तमाम प्रयास नाकाफी दिखे और कई जगहों पर पार्टी समर्थकों की पुलिसकर्मियों के साथ बहस होती दिखी।
-एक वक्त ऐसा आया जब स्थिति बेकाबू होती दिखी और लोग तय प्रवेश द्वारों के बजाय हर तरफ से आने की कोशिश करने लगे।

श्रीलंकाई नेताओं ने शोक जताया
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और कई अन्य नेताओं ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के निधन पर शोक प्रकट किया है। सिरीसेना ने ट्वीट कर कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन से मैं बेहद दुखी हूं।

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने एमके स्टालिन से उनके पिता के निधन को लेकर बात की। राजपक्षे ने ट्वीट किया कि तमिल साहित्य, सिनेमा और राजनीति में उनका योगदान अतुलनीय है। श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के नेता रॉफ हकीम ने ट्वीट किया कि एक कलाकार और एक राजनीतिक विचारक के रूप में उनके योगदान की कोई तुलना नहीं है। उनके निधन के साथ तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया।

तीन जून को मनाया था 94वां जन्मदिन
बता दें कि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे करुणानिधि ने इसी साल तीन जून को अपना 94वां जन्मदिन मनाया था। साथ ही, 26 जुलाई को उन्होंने डीएमके की कमान संभालते हुए भी 50 वर्ष पूरे किए। इतना ही नहीं, दक्षिण की राजनीति का अहम चेहरा रहे करुणानिधि के नाम हर चुनाव में जीत हासिल करने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। वे 12 बार विधानसभा के सदस्य रहे और वह जिस भी सीट पर चुनाव लड़े, हमेशा जीत हासिल की। 1969 में में वे पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद 2003 में आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे।


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