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फसल बीमा में दावे के भुगतान में देरी पर देना होगा जुर्माना संग ब्याज, कई प्रावधानों में संशोधन

फसल बीमा योजना के कई प्रावधानों पर किसानों के उठाये सवालों के बाद उसमें व्यापक संशोधन किये गये हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 09:27 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 12:20 AM (IST)
फसल बीमा में दावे के भुगतान में देरी पर देना होगा जुर्माना संग ब्याज, कई प्रावधानों में संशोधन
फसल बीमा में दावे के भुगतान में देरी पर देना होगा जुर्माना संग ब्याज, कई प्रावधानों में संशोधन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खेती को जोखिम से बचाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कई प्रावधानों पर किसानों के उठाये सवालों के बाद उसमें व्यापक संशोधन किये गये हैं। निर्धारित अवधि के भीतर बीमा के दावों के भुगतान में देरी पर जुर्माना देने के साथ ब्याज भी देने का प्रावधान किया गया है। संशोधित फसल बीमा योजना के प्रावधानों को एक अक्तूबर 2018 से लागू कर दिया गया है।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संशोधित प्रावधान में जोखिम का विस्तार कर दिया गया है। इसमें पहली बार बागवानी क्षेत्र की बारहमासी फसलों को भी प्रायोगिक तौर पर लागू कर दिया गया है। जबकि इसके पहले तक केवल मौसम आधारित फसलें भी बीमा योजना में शामिल थीं।

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दूसरा संशोधन बीमा दावों की गणना के तरीके को और तर्कसंगत बना दिया गया है। इसमें बीते सात सालों में से सर्वश्रेष्ठ पांच सालों की उपज के आंकड़ों के आधार पर गणना का प्रावधान किया गया है।

गन्ना जैसी कम जोखिम वाली फसल के ऋणी किसानों को बीमा के दायरे से अलग कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्तारुढ़ होते ही इसे बीमा के दायरे से अलग कर दिया गया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है। स्थानीय आपदाओं में ओलावृष्टि, भूस्खलन और जलभराव के साथ बादल फटना और प्राकृतिक अग्निकांड को भी शामिल किया गया है।

इसके लिए पंचायत व गांव के बजाय खेत को ईकाई माना जाएगा। जबकि फसल कटाई के बाद खेत में पड़ी फसलों को बेमौसम वर्षा से नुकसान के अलावा अब इसमें ओलावृष्टि को भी शामिल कर लिया गया है।

फसल बीमा दावों के भुगतान में देरी करने पर काबू पाने के उद्देश्य से सरकार ने कुछ सख्त कदम भी उठाये हैं ताकि किसानों को समय से मुआवजा मिल सके। इस संशोधन में जुर्माना और प्रोत्साहन जैसे प्रावधान हैं। बीमा कंपनियों और बैंकों की सेवा में कमी, खामियों में जुर्माना का प्रावधान और उन के प्रदर्शन का मूल्यांकन और डी-पैनल के विस्तृत मानदंड बनाए गये हैं।

बीमा कंपनियों निर्धारित अवधि दो माह से अधिक विलंब से बीमा दावों के भुगतान पर 12 फीसद की दर से वार्षिक ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों को राज्य सरकार ने प्रीमियम सब्सिडी को निश्चित अवधि में नहीं दिया तो 12 फीसद के ब्याज के साथ देना होगा। ज्यादातर मामलों में इकाई खेतों को रखा गया है।


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