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मैदान छोड़कर भागी माकपा, त्रिपुरा की बची सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान

विप्लव सरकार चुनावी वायदे पूरी करने में जुट गई है। सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू करने का फैसला लिया है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sat, 10 Mar 2018 08:29 PM (IST)Updated: Sun, 11 Mar 2018 07:16 AM (IST)
मैदान छोड़कर भागी माकपा, त्रिपुरा की बची सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान
मैदान छोड़कर भागी माकपा, त्रिपुरा की बची सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान

नीलू रंजन, अगरतला। त्रिपुरा में 25 साल तक लगातार सत्ता में रही माकपा हार के एक झटके में ही बिखरने लगी है। हालात यह है कि बाकी बची एक सीट के लिए चुनाव के ठीक पहले माकपा ने मैदान छोड़ने का ऐलान कर दिया है। जनजाति के आरक्षित चारिलाम सीट पर रविवार को मतदान होना है और भाजपा की ओर से राजा परिवार के जिष्णु देबबर्मा यहां उम्मीदवार है। जिन्होंने शुक्त्रवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री की शपथ भी ली है। भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी और ऐतिहासिक जीत के रणनीतिकार सुनील देवधर ने कहा कि अभी तो माकपा केवल चुनाव छोड़कर भाग रही है, दो साल में उसे त्रिपुरा छोड़कर भागना होगा।

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 ऐतिहासिक जीत के बाद माकपा का चुनाव प्रचार अचानक ठप

दरअसल चारिलाम अभी तक माकपा का गढ़ माना जाता था। यहां से माकपा ने अपने मौजूदा एमएलए रामेंद्र नारायण देबबर्मा को उतारा था। लेकिन 11 फरवरी को हार्टअटैक से उनकी मौत के बाद माकपा को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा। चुनाव आयोग ने भी इस सीट पर मतदान की तारीख 11 फरवरी से बढ़ा दी। तीन मार्च को मतगणना के दिन तक तो यहां सब ठीक चल रहा था और माकपा के नए उम्मीदवार पलाश देबबर्मा जोर-शोर से प्रचार कर रहे थे। लेकिन भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद माकपा का चुनाव प्रचार अचानक ठप हो गया।

आठ मार्च को माकपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि चारिलाम में उसके कार्यालयों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। माकपा ने मांग की थी कि राज्य में माकपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें रुकने तक चुनाव टाल देना चाहिए। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे ठुकरा दिया। माकपा ने आरोप लगाया है कि राज्य में जारी हिंसा के कारण उसने चुनावी प्रक्ति्रया से बाहर होने का फैसला किया है।

'माकपा समर्थकों ने पाला बदलना शुरू किया'

वहीं चारिलाम के आम लोगों की माने तो माकपा के चुनाव छोड़कर भागने के पीछे की कहानी कुछ और ही है। चारिलाम में जिष्णु देबबर्मा की आखिरी चुनावी सभा के पास चाय की दुकान पर बैठे लोगों का कहना था कि भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद माकपा समर्थकों ने पाला बदलना शुरू कर दिया है। उनके अनुसार लोगों ने न सिर्फ अपने घरों के बाहर से माकपा के लाल झंडे को उखाड़ फेका है, बल्कि बदली परिस्थितियों में भाजपा के समर्थक दिखने की कोशिश कर रहे हैं।

हालात यह हो गई है कि माकपा के लिए अब अपना बूथ प्रतिनिधि तक ढूंढना मुश्किल हो गया है। ऐसे में माकपा ने अपनी इज्जत बचाने के लिए चुनाव से बाहर होने का ऐलान कर दिया। भाजपा भी माकपा के आरोपों को निराधार बता रही है। भाजपा का कहना है कि अभी तक हुई हिंसा में माकपा के एक भी कार्यकर्ता को चोट नहीं आई है, जबकि उसके दर्जनों कार्यकर्ताओं का अस्पताल में इलाज चल रहा है।

चारिलाम की जीत को भी ऐतिहासिक बनाना चाहती है भाजपा

माकपा के मैदान छोड़ने के पीछे कारण जो भी हो, लेकिन भाजपा के खेमें बढ़े हौसले को साफ देखा जा सकता है। त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा अब चारिलाम की जीत को भी ऐतिहासिक बनाना चाहती है। त्रिपुरा के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री विप्लव देव ने अंतिम चुनावी सभा को संबोधित करते हुए आम जनता से भाजपा उम्मीदवार और उपमुख्यमंत्री जिष्णु देबबर्मा को कम-से-कम 20 हजार वोटों से अंतर से जीताने की अपील की। गौरतलब है कि चारिलाम विधानसभा क्षेत्र में कुल 36 हजार वोटर है और इतनी बड़े अंतर से त्रिपुरा में अभी तक कोई चुनाव नहीं जीता है।

चुनावी वायदों पर अमल शुरू

शपथग्रहण के अगले दिन विप्लव देव की सरकार ने चुनावी वायदों को पूरा करने का काम शुरू कर दिया है। शनिवार को कैबिनेट की पहली बैठक में ही त्रिपुरा के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप में वेतन देने का फैसला किया गया। इसे लागू करने की समय सीमा तय करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। यहां के कर्मचारियों को अभी तक चौथे वेतन आयोग का वेतन मिलता है। इसके साथ ही कैबिनेट ने अगरतला एयरपोर्ट का नाम त्रिपुरा के अंतिम आदिवासी राजा महाराजा वीर बिक्त्रम किशोर माणिक्य के नाम पर करने के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखने का भी फैसला किया है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ये दोनों वायदे किये थे।


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