West Bengal: TMC और BJP को चुनौती देने के लिए माकपा और कांग्रेस हुए साथ, मिलकर निकाला जुलूस
पश्चिम बंगाल में TMC और BJP को कड़ी टक्कर देने के लिए माकपा और कांग्रेस एक साथ हो गए हैं। राज्य में 2021 में विधानसभा चुनाव हैं।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में माकपा और कांग्रेस एक-दूसरे का सहारा बने हैं। दरअसल, राज्य में 34 वर्षो तक शासन करने वाली माकपा इन दिनों अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, वहीं कांग्रेस भी हाशिए पर है। इसका प्रमाण हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव के परिणाम हैं। भाजपा तेजी से माकपा व कांग्रेस को पीछे छोड़कर तृणमूल के सामने खड़ी हो गई है। यही वजह है कि दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं।
इस वक्त बंगाल में मुख्य सियासी मुकाबला सिर्फ दो दलों तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच केंद्रित हो गया है। ऐसे में माकपा और कांग्रेस एक दूसरे की मदद से खुद को दोबारा सशक्त करने की तैयारी में है। इसका संकेत कुछ दिन पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने यह कहकर दिया था कि अभी से भाजपा व तृणमूल विरोधी दलों के बीच गठबंधन की जरूरत है।
दोनों ने मिलकर निकाला था जुलूस
वहीं, माकपा में भी यह स्वर उठे हैं। इसका नतीजा यह रहा कि शुक्रवार को हिंसाग्रस्त भाटपाड़ा में संयुक्त रूप से माकपा व कांग्रेस नेताओं ने जुलूस निकाला और शांति के लिए प्रशासन से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की। अब तक बंगाल विधानसभा में माकपा व कांग्रेस संयुक्त रूप से तृणमूल का विरोध तो करते थे, लेकिन सड़क पर साथ नहीं दिखते थे, लेकिन बदली परिस्थिति में अब दोनों ही दलों के नेता मान रहे हैं कि यदि अब भी साथ नहीं आए तो 2021 में विधानसभा चुनाव काफी मुश्किल होने वाला है।
2011 में तृणमूल से हारने के बाद माकपा अब राज्य की राजनीति में बेहद कमजोर दल बनकर रह गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य में पकड़ अब भी मजबूत है। भाजपा ने राज्य में अपने पैर जमाकर कांग्रेस व माकपा को हाशिए पर ला दिया है।
इसलिए मिलाया हाथ
लोकसभा चुनाव में माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा को प्रदेश की 42 सीटों में से एक भी सीट नहीं मिली और उसका वोट सिर्फ सात प्रतिशत रह गया। इस स्थिति में कामरेड दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाएं बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर लड़ाई आग बढ़ाने को लगभग सहमत हो गए हैं।
माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा दोनों ही भाटपाड़ा में निकलने वाले जुलूस में शामिल रहे थे। पहले से कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे दोनों दलों को उम्मीद है कि संयुक्त प्रयास से वे विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी गणित को बेहतर बना सकते हैं। सूर्यकांत ने राज्य में भाजपा और तृणमूल विरोधी ताकतों का समग्र मंच बनाने का आह्वान किया है।
2016 में किसको कितनी सीटें
माकपा की अगुआई में वाममोर्चा ने 2016 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। उस चुनाव में तृणमूल 44.91 फीसद वोट शेयर के साथ 211 सीटें जीत गई थी, वहीं कांग्रेस व वामदलों की झोली में महज 76 सीटें ही आई थीं। पूरे वाममोर्चा को 32 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।
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