Coronavirus: NHRC ने केंद्र से कहा- लॉकडाउन में जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का ध्यान रखा जाए
शिकायतकर्ता ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान गरीब दिहाड़ी मजदूरों से उदारता के साथ पेश आया जाना चाहिए। उन पर बल का प्रयोग या क्रूरता न की जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान लोगों के स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार का ध्यान रखा जाए। आयोग ने केंद्र सरकार से कहा है कि गृह मंत्रालय के जरिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बारे में उचित दिशानिर्देश या एडवाइजरी जारी करें।
आयोग ने कहा- नागरिकों के साथ संवेदनशीलता से पेश आएं पुलिसकर्मी
आयोग ने केंद्र से कहा है कि वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कर कहें कि लॉकडाउन दिशानिर्देशों का पालन करते समय पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी नागरिकों के साथ संवेदनशीलता से पेश आएं। विशेषतौर पर वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील व्यवहार करें और लोगों के सम्मानपूर्वक जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का ध्यान रखें।
लॉकडाउन को लागू करने को लेकर पुलिसकर्मी दबाव में होते हैं
आयोग ने ये निर्देश मानवाधिकार कार्यकर्ता माजा दारूवाला के पत्र पर संज्ञान लेते हुए जारी किये हैं। इस पत्र में कहा गया है कि लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी बहुत ज्यादा दबाव में होते हैं। ऐसे में वे कई बार गरीब और अनजान मजदूरों के प्रति बहुत सख्त हो जाते हैं वे उनके अधिकारों का भी ध्यान नहीं रखते।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकारी तंत्र गंभीरता से काम कर रहा
हालांकि मानवाधिकार आयोग ने केंद्र को ये निर्देश जारी करते हुए यह भी माना कि कोरोना महामारी से उपजी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए सरकारी तंत्र पूरी गंभीरता से काम कर रहा है। आयोग ने कहा कि फिर भी शिकायतकर्ता द्वारा जाहिर की गई चिंता को केंद्र सरकार के संज्ञान में लाया जाना उचित लगता है। इसीलिए इसे गृह मंत्रालय के जरिये भेजा जा रहा है।
गरीब दिहाड़ी मजदूरों पर बल का प्रयोग या क्रूरता न की जाए
शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि पुलिस लॉकडाउन के दौरान बहुत से अच्छे काम भी कर रही है और एक पुलिसकर्मी का हाथ काट दिये जाने के मामले में माफी नहीं दी जा सकती, लेकिन उनमें भी जो लोग क्रूर हैं उन्हें निश्चित तौर पर रोका जाना चाहिए। शिकायत में कहा गया है कि जो लोग बिना पढ़े लिखे और गरीब दिहाड़ी मजदूर है वे खाने व अन्य चीजों की कमी के कारण बहुत परेशानी झेल रहे हैं। उनसे उदारता के साथ पेश आया जाना चाहिए। उन पर बल का प्रयोग या क्रूरता न की जाए।