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अब उद्योग जगत की पूरी ऑक्‍सीजन देगी लोगों को सांसें, सरकार ने उठाए ये बड़े कदम, आप भी जानें

अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार पूरी तरह से आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में जुट गई है। इसके तहत ऑक्सीजन कंटेनरों का आयात शुरू हो गया है और नाइट्रोजन कंटेनरों को ऑक्सीजन की ढुलाई करने की इजाजत भी दे दी गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 01:47 AM (IST)
अब उद्योग जगत की पूरी ऑक्‍सीजन देगी लोगों को सांसें, सरकार ने उठाए ये बड़े कदम, आप भी जानें
ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार पूरी तरह से आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में जुट गई है।

नई दिल्ली, जेएनएन। अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार पूरी तरह से आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में जुट गई है। इसके तहत ऑक्सीजन कंटेनरों का आयात शुरू हो गया है और नाइट्रोजन कंटेनरों को ऑक्सीजन की ढुलाई करने की इजाजत भी दे दी गई है। इसके अलावा सरकार की तरफ से सभी प्रकार के उद्योगों को ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर रोक के फैसले से भी ऑक्सीजन की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी।

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सरकार ने लिया है बड़ा फैसला

सरकार ने 22 अप्रैल से नौ प्रकार के उद्योगों को छोड़कर अन्य उद्योगों के लिए ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब स्टील प्लांट की कैप्टिव ऑक्सीजन को छोड़कर कोई अन्य उद्योग ऑक्सीजन का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक ये नौ प्रकार के उद्योग लगभग 2,500 टन ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहे थे जो अब पूरी तरह से मेडिकल इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी।

भविष्य की तैयारियों में जुटी सरकार 

यूं तो अभी अस्पतालों के लिए जरूरी आक्सीजन से कुछ ज्यादा आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, लेकिन देश भविष्य की तैयारियों में जुट गया है। देश की प्रतिदिन आक्सीजन उत्पादन क्षमता फिलहाल 7,127 टन है और इसमें से अधिकतर का उत्पादन क्रायोजेनिक एयर सेपरेटर यूनिट में किया जाता है जिसकी ढुलाई के लिए क्रायोजेनिक कंटेनर की जरूरत होती है।

कंटेनरों की व्यवस्था तेज करने की कोशिशें 

सरकार ने कोरोना संक्रमण से प्रभावित 20 राज्यों के लिए 6,822 टन आक्सीजन का आवंटन कर दिया है, लेकिन समस्या ढुलाई और उसे समय पर अस्पतालों तक पहुंचाने की है। दिल्ली समेत बहुत सी राज्य सरकारें अपने हिस्से की आक्सीजन तेज गति से नहीं मंगवा पा रही हैं। एक समस्या यह भी है कि राज्य सरकारें पर्याप्त संख्या में कंटेनरों का प्रबंध भी नहीं कर पा रही हैं। लिहाजा केंद्र सरकार उद्योग जगत को साथ लेकर जहां आक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने में जुटी है वहीं पर्याप्त कंटेनरों की व्यवस्था करने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं।

सिंगापुर से पहुंचे चार क्रायोजेनिक कंटेनर

वायुसेना का एक परिवहन विमान शनिवार शाम आक्सीजन के चार खाली क्रायोजेनिक कंटेनरों को लेकर बंगाल में पानागढ़ हवाई अड्डे पहुंचा। इसके अलावा टाटा समूह ने पहले ही मेडिकल आक्सीजन की ढुलाई के लिए 24 क्रायोजेनिक कंटेनरों को विदेश से मंगाने की घोषणा की थी जो भारत पहुंच भी गए हैं।

नाइट्रोजन टैंकरों के जरिये भी होगी ढुलाई 

साथ ही सरकार ने नाइट्रोजन टैंकरों के जरिये तरल आक्सीजन की ढुलाई की इजाजत दे दी है और इसके लिए 31 जुलाई तक किसी प्रकार की सरकारी इजाजत की जरूरत नहीं होगी। वायुसेना के विमानों से खाली क्रायोजेनिक कंटेनरों को फि¨लग सेंटर पर ले जाया जा रह है। इसी क्रम में पुणे से जामनगर खाली क्रायोजेनिक कंटेनर पहुंचाए गए।

पेसो ने सिलेंडरों की खरीद के लिए जारी किया टेंडर

मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुगम बनाने के लिए पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गनाइजेशंस (पेसो) जल्द ही एक लाख मेडिकल आक्सीजन सिलेंडरों की खरीदारी करने जा रहा है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। इनमें से 30 हजार सिलेंडर 47 लीटर क्षमता वाले और 70 हजार सिलेंडर 10 लीटर की क्षमता वाले होंगे।

उद्योग जगत ने बढ़ाया ऑक्सीजन उत्पादन

सरकारी उपक्रम सेल जो पिछले सप्ताह प्रतिदिन 660 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा था, अब बढ़कर 850 टन के पार चली गई है। इस्पात मंत्री धमेंद्र प्रधान के मुताबिक ओडिशा के टाटा एवं राउरकेला स्थित संयंत्र से भी ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू हो गई है। अभी तक 70 टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हो चुकी है। जेएसपीएल ने शुक्रवार को कहा था कि उसके पास 500 टन तरल ऑक्सीजन का स्टाक है, लेकिन उसकी ढुलाई के लिए कंपनी टैंकरों का इंतजार कर रही है।

ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं की सूची जारी

मरीजों की सहूलियत के लिए आल इंडिया इंडस्ट्रियल गैस मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन की तरफ से घरों में इस्तेमाल होने वाली मेडिकल ऑक्सीजन के आपूर्तिकर्ताओं की सूची जारी की गई है। एसोसिएशन की साइट पर सभी राज्यों के इन आपूर्तिकर्ताओं के नाम और संपर्क नंबर दिए गए हैं। 


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