कृषि पर स्थायी समिति की बैठक से कांग्रेस का वॉकआउट, किसान नेता बोले- कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक समाधान नहीं
कृषि के मसले पर स्थाई समिति की बैठक हुई जिसका कांग्रेस ने बर्हिगमन किया। बैठक में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और छाया वर्मा एवं पूर्व अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने नए कृषि कानूनों पर बहस कराए जाने की मांग की जिसे पैनल के अध्यक्ष ने ठुकरा दिया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। नए कृषि कानूनों को लेकर सियासी खींचतान जारी है। सोमवार को कृषि के मसले पर स्थाई समिति की बैठक हुई जिसका कांग्रेस ने बर्हिगमन किया। बैठक में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और छाया वर्मा एवं पूर्व अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने नए कृषि कानूनों पर बहस कराए जाने की मांग की जिसे पैनल के अध्यक्ष ने ठुकरा दिया। सूत्रों ने बताया कि इससे नाराज प्रताप सिंह बाजवा और छाया वर्मा एवं सुखदेव सिंह ढींढसा कृषि संबंधी स्थायी समिति की बैठक से वॉकआउट किया। इस बीच किसान नेताओं ने कहा है कि यदि सुप्रीम कोर्ट तीन नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा भी देता है तब भी आंदोलन जारी रहेगा।
रोक लगाना समाधान नहीं
हालांकि किसान नेताओं ने इस बयान को अपनी निजी राय बताई। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाना समास्या का समाधान नहीं है क्योंकि यह समय खपाने वाला होगा। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह विवादित कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा सकता है। किसान नेताओं ने इसी संकेत पर अपनी राय रखी।
वापस लिए जाएं नए कृषि कानून
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का स्वागत करते हैं लेकिन यह आंदोलन खत्म करने का कोई विकल्प नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर लगाई गई कोई भी रोक तय समय तक के लिए होगी... बाद में यह मसला अदालत में चला जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि चाहते हैं कि नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट रद करे नए कृषि कानून
भारतीय किसान यूनियन (मनसा) के अध्यक्ष भोग सिंह मनसा ने कहा कि नए कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। रोक मसले का समाधान नहीं है। सरकार पहले ही सहमत हो गई है कि वह किसानों की मांगों के मुताबिक कानूनों में संशोधन करने की इच्छुक है। हम सुप्रीम कोर्ट से कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की अपील करते हैं।
लड़ाई जीतने के बाद ही खत्म होगा आंदोलन
पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुल्दु सिंह मनसा ने कहा कि आंदोलन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ शुरू हुआ था और तभी खत्म होगा जब किसान लड़ाई जीत जाएंगे। वहीं क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि किसान वकीलों के साथ चर्चा कर रहे हैं। कोई भी आधिकारिक जवाब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही दिया जाएगा।
बाजवा बोले, जानना चाहते हैं कि क्या कर रही है सरकार
प्रताप सिंह बाजवा और सुखदेव सिंह ढींडसा ने बताया कि उन्होंने कृषि संबंधित संसद की स्थायी समिति में जब किसान आंदोलन का मसला बैठक में उठाया तो कमेटी के चेयरमैन पीसी गद्दीगौदर जो कर्नाटक से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं... उन्होंने पर चर्चा की इजाजत नहीं दी। उनकी दलील थी कि बैठक का एजेंडा केवल पशुपालन से संबंधित है इसलिए अन्य मसलों को नहीं उठाया जा सकता। प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि हम जानना चाहते थे कि इस मसले पर सरकार क्या कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त
किसान आंदोलन को संभालने के तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार पर कठोर टिप्पणियां की। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसान संगठनों के साथ सरकार की जिस तरह से वार्ता चल रही है वह बेहद निराशाजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गतिरोध खत्म करने के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। बता दें कि सरकार और किसान यूनियनों की बीच अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मसले का कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।