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महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख मामले में वसूली के आरोपों पर कांग्रेस ने कही यह बात

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों से उत्पन्न स्थिति पर उसकी टिप्पणी उचित नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले पर नजर रख रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 10:53 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 10:53 PM (IST)
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख मामले में वसूली के आरोपों पर कांग्रेस ने कही यह बात
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोप

 नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों से उत्पन्न स्थिति पर उसकी टिप्पणी उचित नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले पर नजर रख रहे हैं। मामले पर सीधी टिप्पणी से साफ बचते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मुद्दा उद्धव ठाकरे और राकांपा से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है।

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महाराष्ट्र से जुड़े सवाल टालते हुए सिंघवी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का मुद्दा उठाया और इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर सवाल किया। महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी सरकार एकजुट है। राकांपा प्रमुख शरद पवार स्वयं देशमुख के मामले को देख रहे हैं। मुझे लगता है कि मेरे लिए कुछ भी कहना सही नहीं होगा।

देशमुख को पद से हटाने का सियासी अभियान चौतरफा तेज

उधर, भाजपा ने महाराष्ट्र सरकार को घेरने के साथ देशमुख को पद से हटाने का सियासी अभियान चौतरफा तेज कर दिया है। राज्य के नेता विपक्ष देवेंद्र फडनवीस ने मुंबई में ठाकरे सरकार पर तो भाजपा के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता रविशंकर प्रसाद ने पटना में इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमला बोला।

रविशंकर ने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि गृहमंत्री देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ की वसूली करने का जिम्मा सहायक सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे को दिया था। इसको लेकर हंगामा स्वाभाविक है। सचिन वाझे वर्षों तक सस्पेंड था और कोरोना काल में उसको नियुक्त कराया गया। ऐसे में भाजपा की तरफ से पहला सीधा सवाल है कि वाझे की दुबारा नियुक्ति किसके दबाव में की गई। 


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