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कांग्रेस ने कहा, चीनी सेना का पीछे हटना एक सकारात्मक संकेत; दोनों देशों के बीच शांति है जरूरी

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि भारत को पैंगोग त्सो लेक इलाके से चीनी फौज हटाने के लिए दबाव डालना होगा। इसके साथ ही उसे इलाके में लगातार नजर रखनी होगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 11:58 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 11:58 PM (IST)
कांग्रेस ने कहा, चीनी सेना का पीछे हटना एक सकारात्मक संकेत; दोनों देशों के बीच शांति है जरूरी
कांग्रेस ने कहा, चीनी सेना का पीछे हटना एक सकारात्मक संकेत; दोनों देशों के बीच शांति है जरूरी

नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस ने गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के पीछ हटने को सकारात्मक संकेत बताते हुए कहा कि चीन को यह बात समझनी चाहिए कि दोनों देशों के बीच विश्वास कायम करने के लिए सीमा पर शांति और यथास्थिति कायम करना जरूरी है।

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इसके साथ ही कांग्रेस ने चीनी घुसपैठ के मामले में देश को गुमराह करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मांगने और देश को फिर से विश्वास में लेने की मांग की है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता आनंद शर्मा ने एलएसी पर तनातनी का माहौल खत्म कर सेनाओं को पीछे करने को वरीयता बताया है। उन्होंने कहा कि भारत को पैंगोग त्सो लेक इलाके से चीनी फौज हटाने के लिए दबाव डालना होगा। इसके साथ ही उसे इलाके में लगातार नजर रखनी होगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को आज आगे आकर राष्ट्र को संबोधित करना चाहिए और कहना चाहिए कि हां मुझसे गलती हुई। मैंने आप लोगों को गुमराह किया, या वे जिन शब्दों में अपनी बात कहना चाहें, कहें।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री से की थी बातचीत

बता दें कि भारत और चीन में सीमा पर जारी तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की थी। बताया जा रहा है कि डोभाल के साथ बातचीत का ही नतीजा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)के पास गलवन घाटी में आज चीनी सेना पीछे हटी है। सूत्रों का कहना है कि बातचीत सौहार्दपूर्ण और दूरदर्शी तरीके से हुई। एनएसए डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बातचीत पूरी तरह से और स्थायी तौर पर शांति वापस लाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक साथ काम करने पर केंद्रित रही। 

गौरतलब है कि लद्दाख संकट पर डोभाल पहले से ही सक्रिय हैं और चीन की हर हरकत पर उनकी नजर भी है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो लद्दाख जाने का अचानक प्लान बना वह डोभाल की रणनीति का हिस्सा था। 


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