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Zakia Jafri Case: जाकिया जाफरी मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अत्यंत निराशाजनक: कांग्रेस

Zakia Jafri Case जयराम रमेश ने तत्कालीन गुजरात सरकार की भूमिका को लेकर उठाए कई सवाल पूछा कि व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी क्या होती है? जानें क्या कहा जयराम ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर-

By Ashisha RajputEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 09:26 PM (IST)
Zakia Jafri Case: जाकिया जाफरी मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अत्यंत निराशाजनक: कांग्रेस
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर जयराम ने कहा-

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने गुजरात दंगों से जुड़े जाकिया जाफरी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को अत्यंत निराशाजनक करार देते हुए कहा कि इस निर्णय के बावजूद दंगों से जुड़े कई मूलभूत सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत 63 लोगों को दंगों से जुड़े मामले में एसआइटी के क्लिन चिट देने के फैसले को सर्वोच्च अदालत में सही ठहराए जाने के बाद पार्टी ने यह भी सवाल उठाया है कि दंगों को लेकर आखिर जवाबदेही ठहरायी जाएगी या नहीं।

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जयराम रमेश ने उठाए कई सवाल-

कांग्रेस के मीडिया व संचार महासचिव जयराम रमेश ने पूछा कि व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी क्या होती है? क्या ऐसे मामलों में उत्तरदायित्व केवल कलेक्टर और उप पुलिस आयुक्त का होता है और राजनीतिक कार्यपालिका की कोई जिम्मेदारी नहीं होती? क्या मुख्यमंत्री, कैबिनेट और राज्य सरकार को कभी भी जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता, चाहे एक राज्य को हिंसा और दंगों की आग में झोंक दिया गया हो? जयराम ने इन सवालों के साथ कहा कि हम दंगों में मारे गए पार्टी नेता एहसान जाफरी और उनके परिवार के साथ खड़े हैं। अत्यंत दुखद घटनाक्रम में उनके साथ जो हुआ वह राज्य सरकार की ओर से हुई एक बुनियादी चूक का परिणाम था।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर जयराम ने कहा-

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लेकर जयराम ने कहा कि अदालत के निर्णय के बावजूद आज भी पांच ऐसे प्रश्न हैं जो प्रधानमंत्री का पीछा करते रहेंगे। जब वर्ष 2002 में, गुजरात में भयानक दंगे हुए, क्या उस समय नरेन्द्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री नहीं थे? दंगों को लेकर गुजरात सरकार की अकर्मण्यता से तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी इतने उद्धवेलित क्यों थे कि उन्हें सार्वजनिक रुप से 'राजधर्म' का पालन करने की याद दिलानी पड़ी? क्या सर्वोच्च न्यायालय ने ही गुजरात की तत्कालीन सरकार के आचरण को 'आधुनिक युग के नीरो की संज्ञा नहीं दी थी, जो निर्दोष बच्चे और असहाय महिलाओं के दंगों का शिकार होने के समय कहीं और व्यस्त थी?

जयराम ने यह सवाल भी पूछा कि जब तत्कालीन गुजरात सीएम किसी गलत काम के दोषी नहीं थे तो भाजपा की वर्तमान मोदी कैबिनेट की सदस्य स्मृति ईरानी समेत कुछ धड़ों ने उनका विरोध क्यों किया था और उनकी बर्खास्तगी की मांग क्यों की थी। गुजरात दंगों के संबंध में गठित एसआईटी द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर जिन अनेक लोगों को दोषी सिद्ध कर दिया गया है, उनका क्या होगा? क्या भाजपा यह दावा कर सकती है कि ये सभी दोष सिद्धियाँ अमान्य हो जाएंगी?' जयराम के अनुसार भाजपा का कोई भी दुष्प्रचार तंत्र इन तथ्यों को कभी भी मिटा नहीं सकता है।


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