कांग्रेस ने कहा, सीबीआइ कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान की भावना के विपरीत
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि विवादास्पद ढांचा गिराने के आरोपियों को बरी करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान की भावना के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने ढांचे को गिराने को गैरकानूनी बताया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ढांचा ध्वंस मामले में कांग्रेस ने भाजपा के दिग्गज नेताओं समेत सभी आरोपियों को बरी करने के सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रतिकूल बताया है। उसके मुताबिक सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल नवंबर में दिए गए फैसले की भावना के भी खिलाफ है। कांग्रेस ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि वे फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करें।
सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ढांचा ध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक ढांचा गिराया जाना गैरकानूनी कृत्य था। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि विशेष अदालत ने सब दोषियों को बरी कर दिया है। यह निर्णय साफ तौर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रतिकूल है।
सुरजेवाला ने कहा कि पूरा देश जानता है कि भाजपा-संघ व उनके नेताओं ने राजनीतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था। उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द भंग करने की साजिश में शामिल थी। यहां तक कि झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया। इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ढांचा गिराए जाने को गैरकानूनी कृत्य बताया था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान, सामाजिक सौहार्द व भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद व अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध उत्तर प्रदेश व केंद्र की सरकार उच्च अदालत में अपील दायर करेंगी। इसमें बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया, 'जब न्याय नहीं किया जाता है तो सत्य के साथ खड़े लोगों के मन में आतंक बैठ जाता है, जबकि गलत करने वाले खुशी से झूमते हैं। जब फैसला सरकार को खुश करने के लिए दिया जाता है तो फैसला देने वाला अपार संपत्ति और तोहफों से नवाजा जाता है। आशंका है कि ऐसा बार-बार हो। भारत जूडिशिरी की जगह मोदीशरी की तरफ बढ़ रहा है।'
(1/2) When Justice is not done, it brings terror to the righteous souls and exhilarating joy to the evildoers. When verdict is awarded much to the delight of the Govt, the author is rewarded with sumptuous pelf and perquisite,
— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) September 30, 2020
उधर, कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि फैसला कहता है कि विवादास्पद ढांचे का विध्वंस साजिश नहीं था बल्कि अचानक हो गया था। हमें अब वह घटना भूल जानी चाहिए। अगर बाबरी तोड़ी न गई होती तो रामजन्मभूमि की नींव भी न रखी जाती। मैं और मेरी पार्टी शिवसेना फैसले का स्वागत करते हैं। आडवाणी जी, मुरली मनोहर जी, उमा भारती जी और उन लोगों को बधाई देते हैं, जिन्हें मामले में बरी कर दिया गया है।
I and my party Shiv Sena, welcome the judgment and congratulate Advani ji, Murli Manohar ji, Uma Bharti ji & the people who have been acquitted in the case: Sanjay Raut, Shiv Sena, on the #BabriMasjidDemolitionVerdict https://t.co/WOQAtoYkXQ" rel="nofollow
— ANI (@ANI) September 30, 2020
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM)के नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आज भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास का दुखद दिन है। अब कोर्ट कह रहा है कि इसमें कोई साजिश नहीं थी। कृपया हमको बताइए साजिश का रूप देने के लिए कितने दिन योजना बनानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि मैं बतौर भारतीय मुस्लिम आज अपमान, शर्म और असहाय महसूस कर रहा हूं। बिल्कुल वैसा ही जैसा 1992 में युवावस्था में किया था।'
Today is a sad day in the history of Indian judiciary. Now, the court says there was no conspiracy. Please enlighten me, how many days of months of preparations are required to disqualify an action from being spontaneous?: Asaduddin Owaisi, on the #BabriMasjidDemolitionVerdict pic.twitter.com/iMumkda50l
— ANI (@ANI) September 30, 2020