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प्रणब मुखर्जी पर पलटे कई कांग्रेस नेता, बोले- संघ कार्यक्रम में संबोधन से बढ़ा दादा का कद

कांग्रेस में हो रहे इस अहसास का ही नतीजा है कि पूर्व राष्ट्रपति के नागपुर जाने पर अंतिम क्षण तक सवाल उठाते रहे पार्टी के कई दिग्गज नेता मुखर्जी के भाषण के बाद रातों-रात पलट गए हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 06:51 AM (IST)
प्रणब मुखर्जी पर पलटे कई कांग्रेस नेता, बोले- संघ कार्यक्रम में संबोधन से बढ़ा दादा का कद
प्रणब मुखर्जी पर पलटे कई कांग्रेस नेता, बोले- संघ कार्यक्रम में संबोधन से बढ़ा दादा का कद

संजय मिश्र, नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय जाने के राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन कर रही कांग्रेस अब मान रही है कि दादा ने पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। इसके विपरीत मुखर्जी की भारतीय राष्ट्रवाद को लेकर नागपुर में दी गई परिभाषा ने पार्टी को अपने वैचारिक आधार को नई धार के साथ पेश करने का मौका दिया है। पार्टी में गहरायी से यह महसूस किया जा रहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के जरिये परोक्ष रूप से कांग्रेस की राष्ट्रवाद की अवधारणा और विचाराधारा को सहसा राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में ला दिया है।

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कांग्रेस में हो रहे इस अहसास का ही नतीजा है कि पूर्व राष्ट्रपति के नागपुर जाने पर अंतिम क्षण तक सवाल उठाते रहे पार्टी के कई दिग्गज नेता मुखर्जी के भाषण के बाद रातों-रात पलट गए हैं। इन नेताओं को यह कहने से भी परहेज नहीं कि संघ मुख्यालय के भाषण के बाद दादा का राजनीतिक कद और ऊंचा हो गया है। इस बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने तो यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि नागपुर के बाद प्रणब मुखर्जी दो पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह के बाद मौजूदा समय में देश के तीसरे स्टेटसमैन बन गये हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अनौपचारिक चर्चा में यह भी कहा कि मुखर्जी ने नेहरू की राष्ट्रवाद की अवधारणा को भारतीय राष्ट्र राज्य का आधार स्तंभ साबित कर वास्तव में कांग्रेस को संघ-भाजपा की चुनौतियों के बीच अपनी विचाराधारा की राह पर मजबूती से आगे बढ़ने की नई ऊर्जा दे दी है।

कांग्रेस के गलियारों में दादा के भाषण के बाद बदले अहसास का अंदाजा पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बयान से भी लगाया जा सकता है। चिदंबरम ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि वे खुश हैं कि मुखर्जी ने आरएसएस को स्पष्ट रूप से कांग्रेस की विचाराधारा के सही तत्व को बता दिया है। साथ ही पूर्व राष्ट्रपति ने अपने तरीके से परोक्ष रूप से संघ को यह भी बता दिया कि उसकी वैचारिक सोच कहां पर गलत है।

दादा के भाषण के बाद कांग्रेस की विचाराधारा के विमर्श के केंद्र में आने का ही नतीजा है मुखर्जी के नागपुर जाने के फैसले पर लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के क्षुब्ध होने का दावा करने वाले आनंद शर्मा भी शुक्रवार को पूरी तरह पलट गए। शर्मा ने ट्वीट में प्रणव दा को प्रणाम करते हुए कहा कि उनकी धर्मनिरपेक्षता, नैतिक बल और प्रतिबद्धता पर कभी कोई संदेह नहीं रहा। अपने संबोधन के जरिये उन्होंने संघ को देश की बहुलवादी संस्कृति और विविधता में एकता की बुनियादी ताकत से रूबरू करा दिया। शर्मा यह कहने से भी नहीं चुके कि प्रणव दा नागपुर से और बड़ी शख्सियत बनकर उभरे हैं।

दादा के संघ का न्यौता स्वीकार करने पर छिड़ी बहस के दौरान मुखर्जी का समर्थन करने वाले कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता कार्यसमिति के पूर्व सदस्य हरिकेश बहादुर ने तो सवाल उठाने वाले नेताओं को आड़े हाथों लिया। उनका कहना है कि प्रणब दा के नागपुर जाने को लेकर जाहिर की गई तमाम आशंकाएं निर्मूल साबित हुई हैं। साथ ही जिन लोगों ने इस पर सवाल उठाये उन्होंने पार्टी का नुकसान किया है।


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