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गोवा में ममता बनर्जी के तीन प्रमुख सलाहकारों के चक्रव्यूह को कांग्रेस ने किया नाकाम, पीके का ब्लूप्रिंट नहीं चढ़ सका परवान

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को किंगमेकर बनाने का चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) और ममता बनर्जी के तीन प्रमुख राष्ट्रीय सिपहसालारों के दांव को कांग्रेस ने गोवा विधानसभा चुनाव से पूर्व पहले राउंड की सियासत में ही फेल कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 08:04 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 07:15 AM (IST)
गोवा में ममता बनर्जी के तीन प्रमुख सलाहकारों के चक्रव्यूह को कांग्रेस ने किया नाकाम, पीके का ब्लूप्रिंट नहीं चढ़ सका परवान
गोवा में टीएमसी के दांव को कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व ही फेल कर दिया है।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। गोवा के चुनावी संग्राम में तोड़-फोड़ और पाला बदल के सहारे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को किंगमेकर बनाने का चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) और ममता बनर्जी के तीन प्रमुख राष्ट्रीय सिपहसालारों के दांव को कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व पहले राउंड की सियासत में ही फेल कर दिया है। राज्य में टीएमसी को चुनावी अखाड़े का गंभीर खिलाड़ी बनाने के पीके के ब्लूप्रिट को हकीकत में तब्दील करने का जिम्मा पार्टी के तीन प्रमुख नेताओं डेरेक ओ ब्रायन, महुआ मोइत्रा और पवन वर्मा पर था, मगर कांग्रेस को साधने की इन तीनों की हर कोशिश नाकाम रही।

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टीएमसी के सामने संकट

गोवा के पहले ही अभियान में लगे इस झटके के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता राज्य में गठबंधन नहीं करने के लिए कांग्रेस को जमकर कोस ही नहीं रहे, बल्कि सियासी हमले भी कर रहे हैं। जमीनी सियासी रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है, चूंकि कांग्रेस से गठबंधन नहीं हुआ है इसकी वजह से गोवा में टीएमसी के सामने विधानसभा चुनाव में खाता खोलने का भी संकट मंडराने लगा है।

दोस्ती की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं

इसीलिए टीएमसी नेता अभी से यह कहने लगे हैं कि गोवा में भाजपा सत्ता में लौटी तो इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार होगी। वैसे कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बेबाकी से साफ कर दिया कि टीएमसी गोवा में अपने पांव फैलाने के लिए कांग्रेस के कंधे पर सवार होकर उसे ही काटने का जो दांव चल रही थी, उसके बाद चुनावी दोस्ती की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं थी।

हाईप्रोफाइल प्रचार के जरिये बनाई फिजा

दरअसल, पीके ने गोवा कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को तोड़ने के बाद राज्य में पार्टी के हाईप्रोफाइल प्रचार अभियान के जरिये ऐसी फिजा बनाई कि तृणमूल कांग्रेस राज्य में गंभीर चुनावी खिलाड़ी नजर आने लगी।

यह थी रणनीति

समझा जाता है कि पीके ने ही इसके बाद टीएमसी के उत्साहित नेतृत्व को राज्य में कांग्रेस से गठबंधन के लिए हर दांव आजमाने की सलाह दी। उनका यह भी आकलन था कि गोवा में बढ़ती चुनौती के बाद कांग्रेस के पास गठबंधन के विकल्प को स्वीकार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होगा। उनकी इस सियासी रणनीति को सिरे चढ़ाने का जिम्मा ममता बनर्जी ने डेरेक ओ ब्रायन, महुआ मोइत्रा और पवन वर्मा को दिया।

बेकार गई दबाव बनाने की कोशिश

डेरेक व महुआ ने पहले राजनीतिक चैनलों के जरिये और बाद में सार्वजनिक बयानों के सहारे कांग्रेस पर गठबंधन के लिए दबाव बनाने की कोशिश की। इन दोनों की कोशिशों को सफलता नहीं मिलते देख दीदी ने जदयू से कुछ समय पहले ही टीएमसी में आए पवन वर्मा को पी. चिदंबरम से मिलने के लिए भेजा।

गठबंधन को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं

पवन वर्मा की इस पहल का नतीजा बस इतना हुआ कि ममता बनर्जी की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात हुई मगर पार्टी ने गठबंधन को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं कही। पवन वर्मा ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान इसकी पुष्टि की। वैसे गठबंधन नहीं होने के बाद टीएमसी में गए पार्टी के कई नेता कांग्रेस में लौट आए हैं। ऐसे में टीएमसी नेताओं की कांग्रेस पर बढ़ रही खीज सहज ही समझी जा सकती है।


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