जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने कोयला आयात के बिल में घपलेबाजी को लेकर फंसी कंपनियों के खिलाफ डीआरआई की जांच धीमी पड़ने को लेकर केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले में शामिल अदानी कंपनी को फंसता देख जांच आगे नहीं बढ़ाई जा रही। डीआरआई जांच की धीमी रफ्तार के मद्देनजर कांग्रेस ने इसकी एसआईटी से जांच की मांग का समर्थन किया है।
कांग्रेस कोर ग्रुप के सदस्य जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वित्त मंत्रालय की जांच एजेंसी डीआरआाई ने कोयला आयात में ओवर इनवायसिंग के मामले में अक्टूबर 2014 में 40 कंपनियों के खिलाफ जांच शुरु की। 31 मार्च 2016 को डीआरआई ने अपने दूसरे बयान में कहा कि इन कंपनियों के कोयला आयात में हुए करीब 29000 करोड रुपये के घोटाले की जांच हो रही है।
उन्होंने कहा कि कहा जांच की गति नहीं बढ़ने को लेकर सितंबर 2017 में दिल्ली हाइकोर्ट में प्रशांत भूषण ने एक जनहित याचिका दाय की और जांच के लिए एसआईटी गठन की मांग की। डीआरआई ने 9 मार्च 2018 को हाईकोर्ट को बताया कि 40 कंपनियों की जांच हो रही हैं जिसमें चार कंपनियों को नोटिस गए हैं और एसआईटी की जरूरत नहीं।
जयराम ने कहा कि इसमें सरकार के पंसदीदा उद्योगपति गौतम अदानी और अनिल अंबानी की कंपनी के अलावा एस्सार कंपनी भी शामिल। उन्होंने कहा कि देश में कोयले के आयात का 70 फीसद अदानी की कंपनी के जरिये ही होता है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कोयले के आयात से जुड़े कागजात जो सिंगापुर स्थित स्टेट बैंक आफ इंडिया के ब्रांच में मौजूद हैं उसे रोकने के लिए अदानी समूह सारे हर प्रयास कर रहा है। सिंगापुर हाईकोर्ट ने भी अदानी के इस बारे में दायर याचिका को कुछ दिनों पहले ही खारिज कर दिया तो अब कंपनी ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें अदानी समूह ने कहा है कि डीआरआई को एसबीआई से कागज नहीं लेने दिया जाए।
जयराम ने कहा कि वित्त सचिव हंसमुख अढिया ने एसबीआई की चेयरमैन अरूंधति भट्टाचार्य को 2016 में ही पत्र लिखकर डीआरई को कागजात सौंपने को कहा था। मगर अरुंधति ने सिंगापुर के कानून का हवाला देकर ऐसा करने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि एसबीआई भारत सरकार सार्वजनिक बैंक है और वह सरकार की ही जांच एजेंसी को कागज नहीं दे रहा।
जयराम के अनुसार यह हैरत की बात है कि सरकार की जांच को विदेशी कानून का हवाला देकर सरकारी बैंक रोक रहा है। जबकि इसी मामले में सीबीआई ने फरवरी 2018 में एनटीपीसी, एमएमटीसी से लेकर कुछ सरकारी कंपनियों के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है तो फिर कंपनियों के खिलाफ मामला क्यों दर्ज नहीं हो रहा।
कंपनियों ने वर्ष 2005-09 के दौरान इस कथित घोटाले को अंजाम दिया तब यूपीए की सरकार थी इस पर जयराम ने कहा कि मसला यह नहीं कि यह कब और किस दौरान का घोटाला है। चाहे जब का हो जांच तो होनी ही चाहिए और इसीलिए कांग्रेस ने डीआरआई जांच का स्वागत किया था।