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Citizenship Amendment Bill : नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध की गोलबंदी में जुटी कांग्रेस, बनाई ये रणनीति

कांग्रेस ने बहुचर्चित नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित मजमून का विरोध करने का फैसला करते हुए बिल को राज्यसभा की सलेक्ट कमिटी (प्रवर समिति) में भेजने के लिए सियासी गोलबंदी शुरू कर दी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 07:49 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:49 PM (IST)
Citizenship Amendment Bill : नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध की गोलबंदी में जुटी कांग्रेस, बनाई ये रणनीति
Citizenship Amendment Bill : नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध की गोलबंदी में जुटी कांग्रेस, बनाई ये रणनीति

नई दिल्ली, संजय मिश्र। कांग्रेस ने बहुचर्चित नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित मजमून का विरोध करने का फैसला करते हुए बिल को राज्यसभा की सलेक्ट कमिटी (प्रवर समिति) में भेजने के लिए सियासी गोलबंदी शुरू कर दी है। कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सपा, माकपा, भाकपा, द्रमुक और राजद समेत करीब आठ राजनीतिक दलों ने भी बिल की खिलाफत के इरादे जाहिर कर दिए हैं। विपक्षी खेमे के दलों के इस रुख को देखते हुए ही कांग्रेस राज्यसभा में बिल पर सरकार के संख्या बल को चुनौती देने की रणनीति बना रही है।

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कांग्रेस ने किया विरोध करने का फैसला

नागरिकता संशोधन बिल पर काफी विचार मंथन के बाद कांग्रेस ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रतिकूल बताते हुए विरोध का फैसला किया है। हालांकि अंदरखाने कांग्रेस में इस आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा कि अनुच्छेद 370 की तरह नागरिकता बिल पर भी पार्टी के भीतर से समर्थन के मुखर सुर निकल सकते हैं। इसी आशंका के चलते ही नागरिकता बिल पर पार्टी में पिछले कई दिनों से उहापोह की स्थिति चल रही थी। लेकिन राहुल गांधी और पी चिदंबरम ने गुरुवार को साफ कर दिया कि बिल का मौजूदा स्वरुप धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है और कांग्रेस इसका विरोध करेगी।

नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को होगा पेश

सरकार लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को सोमवार को पेश करेगी। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर पार्टी के रुख को लेकर साफ कहा कि विधेयक संविधान की भावना के खिलाफ है और हम इसका विरोध करेंगे। नागरिकता संशोधन बिल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ करेगा। बिल में इन देशों से आए हिन्दू, बौद्ध, सिख, पारसी, जैन और इसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम इसमें शामिल नहीं हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इसमें एक धार्मिक समुदाय को बाहर किया जाना सभी को बराबर मानने की संविधान की भावना के खिलाफ है। लोकसभा में एनडीए सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और विपक्ष संख्या बल के हिसाब से विधेयक का रास्ता नहीं रोक पाएगा।

लोकसभा-राज्‍यसभा में एनडीए का पलड़ा भारी

कांग्रेस इसीलिए राज्यसभा में अधिक से अधिक दलों को साथ जुटाकर विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के सियासी दांव से सरकार को घेरना चाहती है। मगर आंकड़ों की कसौटी पर एनडीए का बहुमत न होते हुए भी राज्यसभा में पलड़ा भारी दिख रहा है। एनडीए और उसके समर्थक दलों का आंकड़ा मिला दिया जाए तो 240 सदस्यीय सदन में सरकार का संख्या बल 128 तक पहुंच जाएगा। जबकि विपक्षी खेमा 105 के आंकड़े तक ही पहुंचता दिख रहा है। एनडीए को बीजद, वाइएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति का समर्थन मिलना तय माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्षी यूपीए को नागरिकता बिल पर टीएमसी, वामदल, सपा और बसपा के अलावा आम आदमी पार्टी का समर्थन मिलने के पुख्ता संकेत हैं। हालांकि कांग्रेस की नई सियासी दोस्त बनी शिवसेना ने अपने वैचारिक एजेंडे से पीछे नहीं हटने के इरादे जाहिर करते हुए साफ कर दिया है कि पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करेगी। शिवसेना ने अपने इस रुख को लेकर कांग्रेस और एनसीपी को रुबरू कराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इसका महाराष्ट्र की सियासत और सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।


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