Move to Jagran APP

Congress Crisis: सोनिया ने खत्म की गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने की गुंजाइश, सिब्बल के पार्टी छोड़ने के फैसले ने दिए बड़े संकेत

सोनिया गांधी ने पिछले कुछ दिनों में उठाए गए कदमों के जरिए पार्टी में बड़ा संदेश दिया है। यही नहीं कपिल सिब्‍बल के कांग्रेस छोड़ने से भी संदेश साफ है कि पार्टी में असंतोष की आवाजों के लिए अब ज्यादा जगह नहीं बची है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 09:54 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:28 AM (IST)
Congress Crisis: सोनिया ने खत्म की गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने की गुंजाइश, सिब्बल के पार्टी छोड़ने के फैसले ने दिए बड़े संकेत
सोनिया गांधी ने गांधी परिवार के नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवालों पर विराम दे दिया है। (File Photo)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस में लंबे अर्से से चल रही अंदरूनी उथल-पुथल के बीच उदयपुर चिंतन शिविर से लेकर 2024 चुनाव के लिए टास्क फोर्स बनाने तक पिछले दो हफ्ते में उठाए गए कदमों के जरिये सोनिया गांधी ने पार्टी में परिवार के नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवालों को लगभग विराम दे दिया है। टास्क फोर्स का गठन कर जहां पार्टी में छायी गहरी निराशा को थामकर भविष्य की बड़ी जमीनी लड़ाई के लिए संगठन को तैयार करने का संदेश देने की कोशिश की है।

prime article banner

सामूहिक नेतृत्व की मांगों को नकारा

वहीं, अहम मुद्दों पर सलाह-मशविरे के लिए राजनीतिक मामलों के समूह का गठन कर सामूहिक नेतृत्व की मांगों को नकार दिया है। संदेश साफ है कि पार्टी में असंतोष की आवाजों के लिए अब ज्यादा जगह नहीं है और न ही गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने की कोई गुंजाइश। लिहाजा, कटु आलोचक कपिल सिब्बल को भी पार्टी से अलग होकर अपनी राह बनानी पड़ी।

पार्टी में तेज हुए थे असंतोष के सुर

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनाव में तीन महीने पहले कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में असंतोष के सुर तेज हुए थे और गांधी परिवार के नेतृत्व पर निशाना साधते हुए गंभीर सवाल उठाए गए थे। पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की मांग जोर-शोर से उठाई गई, लेकिन पार्टी का अंदरूनी तूफान इतनी जल्दी कमजोर पड़ जाएगा इसकी उम्मीद शायद कांग्रेसजन को भी नहीं थी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को साधा

12 मार्च को कांग्रेस कार्यसमिति की पहली बैठक बुलाकर पार्टी में बदलाव करने की घोषणा और चिंतन शिविर बुलाने का तत्काल एलान कर सोनिया ने इस तूफान को थामने की पहल शुरू कर दी थी। इस बीच ढाई महीने की सुलह-सफाई की कसरत के दौरान जी-23 समूह के नेताओं में सबसे ज्यादा जमीनी पकड़ रखने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेतृत्व ने साध लिया।

बदलावों की रूपरेखा रखी

चिंतन शिविर के लिए गठित छह समूहों में से एक कृषि-किसानों के मसले से जुड़े समूह का जिम्मा हुड्डा को ही सौंप दिया। उदयपुर चिंतन शिविर के पहले ही दिन कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलावों की रूपरेखा रख दी गई जिस पर पार्टीजनों ने हाथोंहाथ मुहर लगा दी।

सलाहकार समूह बनाने की घोषणा

चिंतन शिविर में देशभर से जुटे पार्टी नेताओं के मूड को भांपते हुए ही सोनिया ने अपने समापन संबोधन में नेतृत्व को चुनौती देने के लिहाज से उठाई गई सामूहिक नेतृत्व की मांग को सीधे खारिज कर दिया। असंतुष्ट नेताओं को साधने के लिए अहम मसलों पर सलाह-मशविरे के लिए उन्होंने कार्यसमिति के सदस्यों का एक सलाहकार समूह बनाने की घोषणा की, मगर यह साफ कर दिया कि यह सामूहिक नेतृत्व जैसी व्यवस्था नहीं होगी और उनका फैसला ही अंतिम होगा।

गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को दी गई जगह

इसके अनुरूप ही मंगलवार को टास्क फोर्स के साथ राजनीतिक मामलों के समूह का गठन हुआ जिसमें असंतुष्ट खेमे के दो प्रमुख नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को जगह दी गई है। आजाद और शर्मा की राज्यसभा उम्मीदवारी का फैसला भी अब पूरी तरह नेतृत्व के हाथों में है।

चुनाव नतीजों से डांवाडोल हुई स्थिति

चिंतन शिविर के दो हफ्ते के भीतर ही सोनिया जिस अंदाज और गति से पार्टी के फैसले ले रही हैं उससे साफ है कि नेतृत्व पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से डांवाडोल हुई स्थिति से बाहर निकल आया है। साथ ही पार्टी में गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने की राह लगभग बंद हो गई है।

सुलह का विकल्प दिया

गांधी परिवार के नेतृत्व पर सीधे सवाल उठाने वाले जी-23 खेमे के सबसे मुखर नेता कपिल सिब्बल का पार्टी छोड़ने का फैसला भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है। सिब्बल को उदयपुर चिंतन शिविर में न्योता देकर नेतृत्व ने सुलह का विकल्प जरूर दिया, मगर इस दिग्गज वकील को बखूबी मालूम था कि गांधी परिवार से नेतृत्व छोड़ने की मांग करने के बाद राज्यसभा में वापसी की उनके लिए गुंजाइश नहीं बची, इसीलिए उन्होंने अपनी नई राह चुन ली।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.