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कांग्रेस ने चंद्रयान-2 की सफलता का श्रेय नेहरू और मनमोहन को दिया तो संबित पात्रा ने दिया ये जवाब

चंद्रयान-2 लॉन्चिंग के बाद कांग्रेस ने ट्वीट किया कि जवाहर लाल नेहरू के दूरदर्शी कदम के साथ ही 2008 में चंद्रयान-2 को मंजूरी देने वाले मनमोहन सिंह को याद करने का यह अच्छा समय है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 09:56 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 09:56 PM (IST)
कांग्रेस ने चंद्रयान-2 की सफलता का श्रेय नेहरू और मनमोहन को दिया तो संबित पात्रा ने दिया ये जवाब
कांग्रेस ने चंद्रयान-2 की सफलता का श्रेय नेहरू और मनमोहन को दिया तो संबित पात्रा ने दिया ये जवाब

नई दिल्ली, प्रेट्र। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से हर भारतीयों का दिल जहां गर्व से भर गया है, वहीं कांग्रेस ने इसका सारा श्रेय अपनी पार्टी के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों को देने की कोशिश की है।

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वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कांग्रेस ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की प्रगति के लिए अपने दो प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहर लाल नेहरू और डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया।

कांग्रेस ने अपने नेताओं को दिया श्रेय
कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट किया, '1962 में इनस्कोप (अब इसरो) के जरिए अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए धन देने के भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दूरदर्शी कदम के साथ ही 2008 में चंद्रयान-2 परियोजना को मंजूरी देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को याद करने का यह अच्छा समय है।'

कांग्रेस प्रवक्ता राजीव गौड़ा ने भी बीती शताब्दी के सातवें दशक में आर्यभट्ट के निर्माण से लेकर यूपीए सरकार के दौरान चंद्रयान-1 और अब चंद्रयान-2 की सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की दूरदर्शिता का नतीजा बताया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी रविवार को कहा था, 'पंडित नेहरू से शुरू हुई भारत की अंतरिक्ष यात्रा पीएम इंदिरा गांधी के करिश्माई नेतृत्व में 1975 में आर्यभट्ट के लांच से ऊंची छलांग लगाई थी।'

भाजपा ने साधा कांग्रेस पर निशाना
चंद्रयान-2 की सफलता का श्रेय लेने की कोशिश करने पर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा ने कांग्रेस पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया, 'यह वास्तव में निराशाजनक है। यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। इसे राजनीति के क्षेत्र में नहीं लाना चाहिए था। वैसे, जब भविष्य में कोई नेतृत्व नजर नहीं आता है तो प्रासंगिक बने रहने के लिए अतीत में देखने की प्रवृत्ति होती है . दुर्भाग्य से कांग्रेस के साथ ऐसा ही हुआ है।'


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