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मुस्लिम आरक्षण पर महाराष्ट्र में घमासान तेज, शिवसेना-राकांपा के दो मंत्री आमने-सामने

महाराष्ट्र में शिक्षा एवं नौकरियों में मुस्लिमों को पांच फीसद आरक्षण देने के मुद्दे पर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के दो घटक दल शिवसेना एवं राकांपा में मतभेद नजर आ रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:29 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 11:12 PM (IST)
मुस्लिम आरक्षण पर महाराष्ट्र में घमासान तेज, शिवसेना-राकांपा के दो मंत्री आमने-सामने
मुस्लिम आरक्षण पर महाराष्ट्र में घमासान तेज, शिवसेना-राकांपा के दो मंत्री आमने-सामने

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुस्लिमों को शिक्षा एवं नौकरियों में पांच फीसद आरक्षण देने के मुद्दे पर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के दो घटक दल शिवसेना एवं राकांपा में मतभेद नजर आ रहे हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने अगले शैक्षणिक सत्र से मुस्लिमों के लिए आरक्षण लागू करने की बात कही है। शिवसेना कोटे के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि इस तरह के नीतिगत मुद्दे पर कोई भी फैसला आपसी चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।नवाब मलिक राकांपा कोटे से मंत्री हैं।

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आज विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य शरद रणपिसे के एक सवाल का जवाब देते हुए मलिक ने कहा कि सरकार मुस्लिमों को शिक्षा एवं नौकरियों में पांच फीसद आरक्षण देने पर विचार कर रही है। उनके अनुसार, राज्य सरकार इस आशय का कानून जल्द बनाने की कोशिश करेगी, ताकि अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाए। मलिक की इस घोषणा के कुछ ही देर बाद शिवसेना कोटे के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे से इस संबंध में सवाल पूछा गया। उन्होंने ऐसे किसी फैसले से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई निर्णय अभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी फैसला शिवसेना की अगुआई वाली सरकार में शामिल तीनों दलों से चर्चा के बाद लिया जाएगा।

शिंदे के अनुसार, इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उचित समय पर उचित फैसला लेंगे।शिवसेना ने लिया था मुस्लिमों को आरक्षण देने का पक्षबता दें कि मुस्लिमों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण देने का प्रस्ताव 2014 तक रही राज्य की संप्रग सरकार के कार्यकाल में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के साथ ही आया था। उस समय मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार के कार्यकाल में इस आशय का अध्यादेश विधानसभा में लाया भी गया था। उस अध्यादेश के अनुसार न तो मराठों को आरक्षण मिल पाया, न ही मुस्लिमों को। फड़नवीस सरकार ने जब मराठों को आरक्षण देने की प्रक्रिया शुरू की, तो उसमें मुस्लिमों को शामिल ही नहीं किया गया।

हालांकि शिवसेना ने उस समय मुस्लिमों को शिक्षा में पांच फीसद आरक्षण देने की इच्छा जताई थी। शिवसेना उसके बाद भी मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने के पक्ष में कई बार सहमति जता चुकी है, लेकिन अब राकांपा की तरफ से पहल किया जाना शायद उसे रास नहीं आ रहा है। तभी उसके एक मंत्री नीतिगत निर्णयों पर आमसहमति की जरूरत बता रहे हैं।

फड़नवीस ने शिवसेना को घेरा

नवाब मलिक की घोषणा के बाद भाजपा ने शिवसेना को घेरते हुए इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने दावा किया कि मुस्लिमों के लिए कोटा असंवैधानिक होगा और इससे ओबीसी एवं मराठा आरक्षण पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है।

शिवसेना को असहज करना चाहती है राकांपा-कांग्रेस : आठवले

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि मुस्लिमों के लिए कोटा की घोषणा कुछ और नहीं, बल्कि राकांपा और कांग्रेस का शिवसेना को असहज करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि शिवसेना को इस आरक्षण का विरोध करना चाहिए और भाजपा के साथ आ जाना चाहिए। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वह मुस्लिमों के लिए पांच फीसद आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं।


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