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मप्र : 29 साल बाद टूटी यह परंपरा, नाखुश सीएम कमलनाथ ने भाजपा को बताया जिम्मेदार

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 29 साल बाद इस परंपरा के टूटने पर निराशा वयक्त की है। इससे पहले राज्य में स्पीकर पद पर विपक्ष के लिए छोड़ दिया जाता था।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 01:02 PM (IST)
मप्र : 29 साल बाद टूटी यह परंपरा, नाखुश सीएम कमलनाथ ने भाजपा को बताया जिम्मेदार
मप्र : 29 साल बाद टूटी यह परंपरा, नाखुश सीएम कमलनाथ ने भाजपा को बताया जिम्मेदार

भोपाल,एएनआइ। मध्य प्रदेश में बुधवार को डिप्टी स्पीकर के चुनाव को लेकर सालों पुरानी परंपरा टूट गई। इस पद पर कांग्रेस की उम्मीदवार हिना कांवरे को चुन लिया गया है। इसके बाद अब विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। हालांकि, राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 29 साल बाद इस परंपरा के टूटने पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने इस पद को लेकर उपजे विवाद के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है।   

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भाजपा ने नामांकन कर पहले तोड़ी परंपरा 

इस मामले पर सीएम कमलनाथ ने कहा कि यह पंरपरा भाजपा ने स्पीकर पद के लिए नामांकन कर के तोड़ी थी,जिसके बाद हमने फैसला लिया कि हम डिप्टी स्पीकर का चुनाव लड़ेगे। गुरुवार को हिना कांवरे के डिप्टी स्पीकर चुने जाने के बाद कमलनाथ ने कहा कि भाजपा,दूसरी पार्टियों के विधायकों को अपने तरफ खिंचने की कोशिश कर रही थी। भाजपा को लगा कि इससे कांग्रेस में विवाद उपजेगा। इस कारण से उन्होंने स्पीकर के लिए नामांकन किया था। इसे देखकर हमने निर्णय लिया कि हम डिप्टी स्पीकर का चुनाव लड़ेगे। कमलनाथ ने यह भी कहा कि जब भाजपा ने परंपरा तोड़ी तो हमने भी जवाब दिया। 

भाजपा ने लोकतंत्र का काला अध्याय बताया

डिप्टी स्पीकर पद हारने के बाद भाजपा ने इसे लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया गया। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में भाजपा का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राष्ट्रपति से मुलाकात कर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार करेगा।

यह है विवाद 

दो दिन पहले अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी विधानसभा में हंगामा हुआ था। भाजपा ने चुनाव को गलत ठहराते हुए विधानसभा का बहिष्कार किया और राजभवन तक पैदल मार्च निकाला। भाजपा ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। 8जनवरी को स्पीकर पद के लिए हुए वोटिंग का भाजपा ने बहिष्कार किया और 120 विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने स्पीकर चुन लिया।


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