लोकसभा में सोमवार को पेश होगा नागरिक संशोधन विधेयक, इन कारणों से हो रहा विरोध
नागरिक संशोधन विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है अब यह सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। लोकसभा में सोमवार (9 दिसंबर) को नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) पेश किया जाएगा। इस विधेयक को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है लेकिन विपक्ष की ओर से इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। विपक्ष इसे असंवैधानिक बता रहा है। हालांकि केंद्र सरकार इसे प्राथमिकता दे रही है और सदन में पेशी के दौरान तमाम सांसदों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। बता दें कि इस विधेयक में दूसरे देशों से भारत आए विभिन्न धर्म के लोगों के भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
पूर्वोत्तर राज्यों में विरोधी सुर
दूसरे देशों से भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को देश की नागरिकता देने वाले इसे विधेयक का सबसे अधिक विरोध पूर्वोत्तर में हो रहा है। उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को पूरे देश में लागू किया जाना है लेकिन बांग्लादेश के करीबी भारतीय पूर्वोत्तर राज्य इसके सख्त खिलाफ हैं। इन राज्यों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में मुसलमान और हिंदू आकर रह रहे हैं।
नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव
दरअसल, नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन बिल को लाने की कोशिश की जा रही है। इस संशोधन विधेयक में नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव किया गया है। इसके बाद पड़ोसी देशों से आए लोगों को बगैर किसी दस्तावेज के भारत की नागरिकता दी जाएगी।
बिल पास होने पर मात्र 6 साल में ही भारतीय नागरिकता
भारत में 11 वर्ष रहने के बाद ही यहां की नागरिकता मिलती है लेकिन इस संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए यह बाध्यता नहीं होगी। उनके लिए समय की अवधि घटा दी गई है। अब यह 11 वर्ष से घटकर 6 वर्ष हो गया है।
असम डील 1985 का उल्लंघन
वहीं इस संशोधन को 1985 असम डील का उल्लंघन करार दिया गया है। इस डील के अनुसार, 1971 के बाद बांग्लादेश से आए भारत आए नागरिकों को निकालने की बात है। इस विधेयक को इस वर्ष के शुरुआत में भी पेश किया गया था। उस वक्त भी यह लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में अटक गया था।