CAA के खिलाफ मंगलुरु में प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को TMC ने दिया मुआवजा
मंगलुरु में 19 दिसंबर को नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिजनों को आज टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया।
बेंगलुरू, एएनआइ। मंगलुरु में 19 दिसंबर को नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रतिनिधिमंडल ने इन दो लोगों के परिजनों को आज 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया। टीएमसी के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल आज मंगलुरु पहुंचा।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को मंगलुरु हिंसा में मारे गए लोगों को मुआवजा देने ऐलान किया था। उन्होंने इस दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलुरु में हिंसा के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों से मिलने जाएगा और उन्हें 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देगा।
येदियुरप्पा ने कहा मामले कि जांच के बाद मुआवजा दिया जाएगा
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि मामले कि सीआइडी जांच के बाद मारे गए दोनों युवकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। येदियुरप्पा ने 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया था। इसके बाद ममता ने मुआवजा देने की बात कही थी। उन्होंने येदियुरप्पा और भाजपा की इसे लेकर आलोचना भी की थी और वादा पूरा न करने का आरोप लगाया था।
भाजपा ने ममता पर निशाना साधा
भाजपा ने इसे लेकर ममता पर निशाना साधा है। कर्नाटक के मंत्री एस सुरेश कुमार ने शुक्रवार को ममता बनर्जी की आलोचना की। ममता बनर्जी की उदारता भेदभावपूर्ण है। उन्हें पश्चिम बंगाल में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देना जरूरी नहीं लगा। वह सिर्फ इस कदम से एक राजनीतिक संदेश भेजना चाहती हैं। यह कदम उन्होंने राजनीतिक फायदा के लिए उठाया है, लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं होंगी।
लखनऊ में टीएमसी प्रतिनिधिमंडल को हिरासत में ले लिया गया था
बता दें कि टीएमसी प्रतिनिधिमंडल 22 दिसंबर को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की योजना के साथ लखनऊ पहुंचे थे। उन्हें एयरपोर्ट पर रोककर हिरासत में ले लिया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल में दिनेश त्रिवेदी समेत चार लोग थे। इन्हें लखनऊ आने की इजाजत नहीं दी गई थी। प्रशासन ने उन्हें धारा 144 लागू होने का हवाला देकर लखनऊ आने की अनुमति देने से मना कर दिया था। अनुमति न मिलने के बाद भी वे लखनऊ पहुंचे, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था।
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