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'एक देश एक चुनाव' को लेकर चुनाव आयोग और विधि आयोग में मंथन शुरू

चुनाव आयोग और विधि आयोग ने 'एक देश एक चुनाव' से संबंधित अहम बैठक की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 09:18 PM (IST)
'एक देश एक चुनाव' को लेकर चुनाव आयोग और विधि आयोग में मंथन शुरू
'एक देश एक चुनाव' को लेकर चुनाव आयोग और विधि आयोग में मंथन शुरू

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग और विधि आयोग देश में 'एक देश एक चुनाव' को लेकर सक्रिय हो गए हैं, और इस संबंध में दोनों आयोग ने बुधवार को इससे संबंधित अहम बैठक की है। विधि आयोग ने पिछले पखवाड़े हुई बैठक के दौरान इस संबंध में एक प्रश्नावली जारी की थी, जिसके जरिए आयोग की ओर से आम जनता, संस्थान, एनजीओ और नागरिक संगठनो के साथ सभी स्टेकहोल्डरों से इस संबंध में सुझाव मांगे गए थे।

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- एक साथ चुनाव कराने के अलावा केंद्र को स्थायित्व प्रदान करने के उपाय पर भी चिंतन

सूत्रों के मुताबिक दोनों ही पक्षों ने इस बात पर चिंता जताई है कि आए दिन देश में चुनाव होते हैं, जिसके चलते आचार संहिता लगानी पड़ती हैं। प्रदेशो में विकास का काम बाधित होता है, सरकारी तंत्र की चुनावी कार्यक्रम में व्यस्तता के चलते ज़रूरी कार्यों पर भी रोक लग जाती है।

निर्वाचन आयोग ने सरकार और समिति से यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए काफी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) मशीनें खरीदने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए कुल 9,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ने की उम्मीद है।

इस बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के अंत तक देश में एक साथ चुनाव कराने के उपाय और एहतियाती कानूनी और संविधान संशोधन पर विधि आयोग की रिपोर्ट आ सकती है। इसी रिपोर्ट की तैयारी के सिलसिले में ही दोनों आयोगों की बैठक हुई है। बैठक में चुनाव से जुड़ी तकनीकी और व्यवहारिक बातों पर चर्चा की गई है।

आयोग का मानना है कि इसे अमलीजामा पहनाने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की ज़रूरत है। साथ ही इसे परिभाषा में शामिल करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 2 में संशोधन का प्रस्ताव भी किया है।

अविश्वास प्रस्ताव की जगह कन्स्ट्रक्टिव वोट ऑफ नो कॉन्फिडेन्स के रूप में एक नई व्याख्या शामिल करना भी आयोग के विचारों के दायरे में है। इस बैठक में विधि आयोग के उस प्रपत्र पर भी चर्चा हुई जिसमें न सिर्फ चुनाव को व्यवस्थित तरीके से एक साथ कराने के प्रावधान और संविधान में संशोधन के प्रस्ताव हैं। बल्कि केंद्र सरकार को स्थायित्व भी प्रदान करने के उपाय बताए गए हैं।


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