भारत-ताइवान के बीच शोक संदेशों पर भड़क उठा चीन, पहले भी कर चुका है ऐसी हरकत
पिछले एक हफ्ते के दौरान भारत ने ताइवान में हुई रेल दुर्घटना पर और उसके बाद ताइवान ने छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में मारे गये भारतीय सुरक्षा कर्मियों पर शोक जताया है तो चीन को नागवार गुजरा है। कहा कि एक चीन के सिद्धांत को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन दूसरे देशों की जमीन पर अतिक्रमण तो कर सकता है, लेकिन उसे यह मंजूर नहीं है कि कोई दूसरा देश ताइवान के साथ सामान्य शिष्टाचार वाले संदेशों का भी आदान-प्रदान करे। इस बारे में पहले भी चीन सरकार ने अपनी नाराजगी दिखाई है। पिछले एक हफ्ते में भारत ने ताइवान में रेल दुर्घटना पर और उसके बाद ताइवान ने छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में मारे गये भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर शोक जताया है तो चीन को नागवार गुजरा है।
अब छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीदों पर ताइवान ने भेजा शोक संदेश
नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर सभी पक्षों को और खास तौर पर मीडिया को यह संदेश देने की कोशिश की है कि एक चीन के सिद्धांत को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए। सोमवार को ताइवान के विदेश मंत्रालय ने एक अपने शोक संदेश में लिखा है कि वह छत्तीसगढ़ हमले में मारे गये जवानों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है और ताइवान भारत की राष्ट्रीय अखंडता के प्रति समर्थन दिखाता है और वह भारत के साथ खड़ा है। इसके पहले पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्रालय ने ताइवान में हुए ट्रेन हादसे में मारे गये मृतकों के प्रति अपने संवेदना जताई थी।
पहले ताइवान में रेल दुर्घटना पर भारत ने जताया था शोक
यह पहला मौका था, जब भारत सरकार ने ताइवान में हुए किसी हादसे को लेकर सीधे वहां की सरकार को संबोधित करते हुए शोक संदेश भेजा था। इसके जवाब में ताइवान के विदेश मंत्रालय ने अपना आभार जताया था। अगर देखा जाए तो पिछले एक वर्ष में भारत और ताइवान के बीच एक वैकल्पिक संपर्क बहुत ही सीमित स्तर पर स्थापित हुआ है। पिछले वर्ष जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव हुआ था, तभी से ताइवान सरकार की तरफ से कई बार भारत से संपर्क साधने की कोशिश की गई है। भारत आधिकारिक तौर पर 'वन चाइना' नीत का समर्थन करता है।
चीन ने कहा, भारत को भी वन चाइना नीति को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी होगी
बहरहाल, हाल में जिस तरह से ताइवान और भारत के विदेश मंत्रालयों के बीच संवाद हुआ है, उस पर चीन के दूतावास की टिप्पणी से साफ है कि उसे यह सब रास नहीं आ रहा। चीनी दूतावास ने तो इस बारे में अपना संकेत सीधे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को नहीं बल्कि इस संबंध में मीडिया में छपी समाचारों के माध्यम से देने की कोशिश की है। इसमें कहा गया है, 'दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है। ताइवान चीन का ही एक हिस्सा है। यह एक ऐतिहासिक व कानूनी सच है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी इसे स्वीकार करते हैं। जो देश भी चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ता रखता है, उसे वन चाइना नीति को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी होती है और भारत सरकार का भी यही आधिकारिक पक्ष है।
ताइवान का प्रश्न चीन का मुख्य मुद्दा है। हम किसी भी ऐसी विचारधारा का विरोध करते हैं, जो स्वतंत्र ताइवान या दो चीन या एक चीन, एक ताइवान की सोच को बढ़ावा देते हैं। हम उस हर देश का विरोध करते हैं, जो चीन के साथ कूटनीतिक रखता है, लेकिन ताइवान के साथ आधिकारिक रिश्ता रखता है या किसी तरह का आदान-प्रदान करता है। ताइवान को हम रेल लाइन मानते हैं और इसे कोई भी चुनौती नहीं दे सकता।'