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छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन का निधन, पढ़ें पूरा राजनीतिक सफर

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन अब हमारे बीच नहीं रहे। 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 02:55 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 06:32 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन का निधन, पढ़ें पूरा राजनीतिक सफर
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन का निधन, पढ़ें पूरा राजनीतिक सफर

रायपुर (जेएनएन)। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार दोपहर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। मंगलवार की सुबह तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी देख-रेख में लगी हुई थी। लेकिन हालात ज्यादा खराब होने के कारण दोपहर करीब सवा दो बजे उनका निधन हो गया।

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राज्यपाल के निधन की खबर लगते ही आंबेडकर अस्पताल में लोगों का तांता लग गया है। उनकी बीमारी के बारे में जानने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित कई मंत्री, नेता और अफसर आंबेडकर अस्पताल में मौजूद थे। जनसंघ के संस्थापक सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे टंडन ने 18 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद संभाला था। उनका अंतिम संस्कार पंजाब में उनके गृहग्राम में किया जाएगा।

गौरतलब है कि अपने लंबे राजनीतिक करियर में टंडन पंजाब के उप मुख्यमंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहे। छह बार विधायक रहे टंडन आपातकाल के दौरान 1975 से 1977 तक जेल में भी रहे। उन्होंने 1977-79 में और 1997-2002 में प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया है।

ऐसी है पार्षद से राज्यपाल बनने तक की कहानी
बलराम दास टंडन का जन्म एक नवंबर 1927 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे निरन्तर सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।

छात्र जीवन में खेलों से नाता
अपने छात्र जीवन में राज्यपाल बलरामदास टंडन कुश्ती, वॉलीबॉल, तैराकी और कबड्डी के सक्रिय खिलाड़ी रहे थे। अपने सियासी सफर के दौरान भी वे छह बार विधायक रहे और पंजाब सरकार में मंत्री भी रहे। टंडन ने 18 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद संभाला था।

1953 में पहली बार बने पार्षद
बलरामदास टंडन 1953 में पहली बार अमृतसर नगर निगम के पार्षद बने। फिर अमृतसर विधानसभा क्षेत्र से 1957, 1962, 1967, 1969 एवं 1977 में विधायक चुने गए। 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान वे जेल में भी रहे। साल 1997 में वे टण्डन राजपुरा सीट से चुनाव जीत कर पंजाब में मंत्री बने। 1979 से 1980 के दौरान वे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।

बढ़ा हुआ वेतन लेने से कर दिया था इंकार
पिछले दिनों उन्होंने बढ़ा हुआ वेतन लेने से इन्कार कर दिया था, उनके इस कदम की सभी ने तारीफ की थी। टंडन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और पंजाब से भाजपा के नेता भी रह चुके हैं। वह 1969-70 के दौरान अकाली दल-जन संघ मंत्रालय में पंजाब के उप-मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1977-79 में और 1997-2002 में प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

जनसंघ के संस्थापक सदस्य
टंडन 1951 में जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और 1951 से 1957 तक पंजाब जनसंघ के सचिव और 1995-97 से पंजाब भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

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