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छत्तीसगढ़: सरकार की नीति पर सवाल, कर्ज माफी के लिए लेना पड़ रहा है कर्ज

Farmers Loan Waiver, सरकार के बांड बेचने और बार- बार कर्ज लेने से विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 08:03 AM (IST)
छत्तीसगढ़: सरकार की नीति पर सवाल, कर्ज माफी के लिए लेना पड़ रहा है कर्ज
छत्तीसगढ़: सरकार की नीति पर सवाल, कर्ज माफी के लिए लेना पड़ रहा है कर्ज

रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने 15 दिन में 3500 करोड़ का कर्ज ले लिया है। सरकार ने यह रकम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के माध्यम प्रतिभूति (सिक्योरिटी बांड) बेचकर हासिल की है। इस कर्ज पर सरकार को साढ़े सात से करीब आठ फीसद तक ब्याज देना पड़ेगा। राज्य सरकार बीते चार महीने से लगातार बांड बेचकर रकम जुटा रही है। अक्टूबर से अब तक करीब छह हजार करोड़ के बांड सरकार बेच चुकी है। राज्य पर करीब 50 हजार करोड़ का कर्ज पहले से है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार कर्ज बड़े से राज्य का विकास प्रभावित हो सकता है, क्योंकि इस कर्ज के मूलधन के साथ ब्याज भी देना पड़ेगा।

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पहले धान बोनस और मुफ्त मोबाइल के लिए बेचा था बांड

तत्कालीन भाजपा सरकार (BJP Government) ने अक्टूबर 2018 में दो बार में आठ और साढ़े आठ फीसद की ब्याज पर 1500 करोड़ का कर्ज लिया। इसके बाद नवंबर में दो बार में करीब आठ सौ करोड़ के और बांड बेचे गए। तत्कालीन रमन सरकार ने इस रकम का उपयोग अपने मुफ्त स्मार्ट फोन वितरण योजना और किसानों को तीन सौ स्र्पये प्रति क्विंटल धान का बोनस देने में किया।

अब धान बोनस के साथ कर्ज माफी के लिए

सत्ता में आई कांग्रेस (Congress) ने भी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का ही पैटर्न अपनाया। किसानों की कर्ज माफी (Farmers Loan Waiver) और 2500 स्र्पये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीद के चुनावी वादे को पूरा करने का एलान किया। सरकार करीब 6100 करोड़ का कर्ज माफ कर रही है। वहीं, धान का समर्थन मूल्य 2500 करने के लिए सरकार को करीब 54 सौ करोड़ से अधिक की जरूरत थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने तीन सौ स्र्पये प्रोत्साहन राशि देने के लिए 27 सौ करोड़ की व्यवस्था कर दी थी। इस वजह से मौजूदा सरकार को भी करीब इतने और की व्यवस्था करनी पड़ रही है। दोनों मिलाकर सरकार को लगभग 8875 करोड़ की जरूरत है।

50 हजार करोड़ कर्ज

सरकार 2014-15 से जनवरी 2018 तक रिजर्व बैंक से 18350 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। 2014 में चार किस्तों में 2200, 2015 में 6 किस्तों में 5000 कराेड, 2016 में 3 किस्तों में 1850 करोड़ व 2017 में पांच किस्तों में 7200 करोड़ लिए गए। वहीं 2018 में करीब 2200 करोड़ से अधिक का कर्ज लिया गया है।

पूंजीगत की तुलना में बढ़ा राजस्व व्यय

मौजूदा सरकार ने इसी महीने विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश किया। 10 हजार 395 करोड़ 15 लाख 62 हजार 400 करोड़ के इस रिकार्ड तोड़ अनुपूरक बजट का बड़े हिस्से का उपयोग राजस्व व्यय के स्र्प में किया जाएगा। महज 181 करोड़ 35 लाख 37 हजार 500 स्र्पये पूंजीगत व्यय किए जाने का प्रस्ताव है। आर्थिक जनकारों के अनुसार राजस्व व्यय बढ़ने का सीधा असर सरकार की वित्तीय स्थिति पर पड़ती है।

राजस्व आधिक्य लेकिन बढ़ रहा वित्तीय घाटा

छत्तीसगढ़ में सरकार की वित्तीय स्थिति खराब नहीं तो अच्छी भी नहीं है। चालू वित्तीय वर्ष के बजट में 4445 करोड़ राजस्व आधिक्य और वित्तीय घाटा 9997 करोड़ का अनुमान था। वित्तीय जानकारों के अनुसार इससे स्पष्ट है कि बजट के साथ ही सरकार ने संकेत दे दिया था कि राज्य की वित्तीय जस्र्रतों को पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ सकता है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार वित्तीय घाटा बताता है कि किसी वित्त वर्ष के दौरान सरकार की कुल आमदनी (उधार को छोड़ कर) और कुल खर्च का अंतर कितना है। वित्तीय घाटे के बढ़ने का मतलब है कि सरकार की उधारी बढ़ेगी।

प्रभावित होंगे विकास कार्य

सरकार के बांड बेचने और बार- बार कर्ज लेने से विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है। अर्थशास्त्री अशोक पारख के अनुसार सरकार बांड बेचकर जो लोन ले रही है उसे ब्याज सहित चुकाना पड़ेगा। इसके लिए सरकार को स्वयं पूंजी की व्यवस्था करनी पड़ेगी।


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