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किसानों व गरीबों के हित में नहीं है विद्युत संशोधन कानून: छत्तीसगढ़ CM

महामारी के संकट को देखते हुए विद्युत अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को टालने की बात को मुख्यमंत्री बघेल ने तर्कसंगत बताया।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 11:33 AM (IST)
किसानों व गरीबों के हित में नहीं है विद्युत संशोधन कानून: छत्तीसगढ़ CM
किसानों व गरीबों के हित में नहीं है विद्युत संशोधन कानून: छत्तीसगढ़ CM

रायपुर, एएनआइ। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री आरके सिंह को लिखकर प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन कानून 2020 को टालने की बात को तर्कसंगत बताया। उन्होंने कहा,  'मौजूदा समय को देखते हुए प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन कानून 2020 को टालना सही लग रहा है और यह तर्कसंगत भी है। निवेदन है कि कोविड-19 का संकट खत्म होने के बाद नए मसौदे पर विचार किया जाएगा।' 

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे गरीब तबके व किसानों के लिए अहितकारी बताया है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन कानून 2020 के प्रस्ताव को मौजूदा महामारी के संकट में  स्थगित करने की अपील की। इस बारे में केंद्रीय  विद्युत राज्य मंत्री को लिखे गए अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए संशोधन कानून को लागू करने से पूर्व सभी राज्य सरकारों से इस पर विचार-विमर्श करने तथा समाज के जन सामान्य के हितों का ध्यान रखने की बात कही है।

 इस संशोधन विधेयक को गरीब और किसानों के लिए नुकसानदायक बताते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र से इसे कुछ समय के लिए रोके रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि किसानों को मिलने वाला बिजली पर सब्सिडी यदि खत्म हो जाता है तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में लागू  डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम ही उचित है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि  खेती के मौसम में प्रति माह सिंचाई के लिए यदि एक हजार यूनिट विद्युत खर्च होती है तो उसे 7-8 हजार रुपये का भुगतान करना होगा जो उसके लिए कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि एसी कमरों में बैठकर कानून के संशोधन पर विचार करना अनुकूल है लेकिन यथार्थ विपरीत है। रियायती दर पर किसानों को बिजली न मिलने से फसल सिंचाई प्रभावित होगी। खाद्यान्न उत्पादकता घटेगी जिसके चलते देश के समक्ष खाद्यान्न का संकट पैदा हो जाएगा। 


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