आम चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने कलह थामने की चुनौती
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा के भीतर उपजा असंतोष तमाम कोशिशों के बावजूद थमता नजर नहीं आ रहा है।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। आम चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने आंतरिक कलह थामने की चुनौती है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद हुई समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराए जाने से बखेड़ा खड़ा हो गया है। बखेड़ा फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है।
15 वर्ष की सत्ता में घूम फिर कर कुछ ही चेहरों को मिली तवज्जो ने भी कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों के बीच खीझ पैदा की है। इसी का परिणाम है कि हार के बाद अब तक चुप बैठे पदाधिकारी-कार्यकर्ता भी सीधे नेतृत्व के खिलाफ बयान देने से भी परहेज नहीं कर रहे।
अपने ही नेतृत्व को आईना दिखा रहे सोशल मीडिया में भाजपा के पदाधिकारी-कार्यकर्ता अपने ही नेतृत्व को आईना दिखा रहे हैं। पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर ने भी बयान देकर पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मीडिया प्रभारी देवेंद्र गुप्ता ने तो सोशल मीडिया में प्रदेश अध्यक्ष के लिए यहां तक लिख दिया कि खुद की करनी और ठीकरा भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं पर, वाह कौशिक जी वाह।
पांच साल तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे, सत्ता की गुलामी में मस्त रहकर पार्टी को 15 सीटों पर समेट दिया। इसके बाद भी बोल नहीं सुधर रहे। इस तरह की फेसबुक पोस्ट व ट्वीट को कार्यकर्ता शेयर कर रहे हैं। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने विवाद थामने के लिए यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को हार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया था।
भाजपा की आंतरिक रार में भूपेश के ट्वीट ने लगाया तड़काविधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा के भीतर उपजा असंतोष तमाम कोशिशों के बावजूद थमता नजर नहीं आ रहा है। भाजपा की समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं की निष्कि्रयता को हार के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने पर भाजपा के भीतर ही बहसबाजी व बयानबाजी तेज हो गई है। इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ट्वीट ने सियासत और गरमा दी है।
मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा की रार पर शनिवार को ट्वीट किया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का नाम लिए बगैर सीएम ने कहा कि जीत का सेहरा सेनापति को तो हार के लिए कार्यकर्ता क्यों जिम्मेदार।
बघेल ने लिखा है कि माफ कीजिएगा- यह आपका आंतरिक मामला नहीं रहा क्योंकि किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं का अपमान मतलब लोकतंत्र पर प्रहार। जब लोकतंत्र खतरे में हो तो हम तटस्थ कैसे रह सकते हैं। बघेल के ट्वीट पर सोशल मीडिया में फिर बहस तेज हो गई है।