Move to Jagran APP

बिहार में कांग्रेस की सियासी सूरत बदलने के लिए पार्टी हाईकमान ने चला सवर्ण कार्ड

राहुल ने प्रदेश कांग्रेस की 23 सदस्यीय कार्यसमिति भी गठित कर दी है। भाजपा से सर्वण समुदाय का मोहभंग हो रहा है और कांग्रेस ही उनके लिए विकल्प है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 07:39 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 08:40 PM (IST)
बिहार में कांग्रेस की सियासी सूरत बदलने के लिए पार्टी हाईकमान ने चला सवर्ण कार्ड
बिहार में कांग्रेस की सियासी सूरत बदलने के लिए पार्टी हाईकमान ने चला सवर्ण कार्ड

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस हाईकमान ने लंबे चिंतन-मनन के बाद पूर्व मंत्री मदनमोहन झा को बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले सूबे में पार्टी की सियासी सूरत बदलने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने दशकों बाद ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है। प्रदेश कांग्रेस प्रचार अभियान समिति की कमान भी सवर्ण चेहरे पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह को सौंपी गई है। पार्टी ने कोकब कादरी समेत चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति भी की है। पुराने दिग्गजों को साधे रखने के लिए प्रदेश कांग्रेस की सलाहकार समिति का गठन कर अधिकांश प्रमुख चेहरों को इसमें जगह दी गई है।

loksabha election banner

मदनमोहन झा को बनाया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस ने ढाई दशक से भी अधिक समय बाद सूबे की कमान कभी उसकी सियासत के मजबूत आधार रहे ब्राह्मण वर्ग को सौंपी है। 1991 में बिहार में पार्टी के अध्यक्ष रहे जगन्नाथ मिश्र के बाद बीते 27 साल में इस वर्ग के किसी नेता को प्रदेश संगठन की कमान नहीं सौंपी गई थी। भाजपा-जदयू की सियासी दोस्ती के सामाजिक समीकरणों की चुनौती के बीच राजद से अपने गठबंधन के नफा-नुकसान के आकलन के बाद राहुल गांधी ने सूबे में पार्टी संगठन का राजनीतिक कलेवर बदला है।

जदयू के भाजपा में जाने से पहले महागठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री रहे मदनमोहन झा को बेशक पार्टी ने सवर्ण मतदाताओं को साधने के हिसाब से आगे किया है। मगर राजनीतिक हकीकत यह भी है कि राजद या जदयू के नेतृत्व से तुलना की जाए तो झा का सियासी आधार और अपील उनके आस-पास भी नहीं दिखता। हालांकि झा को बिहार की कमान मिलने में उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि ने भी अहम भूमिका निभाई।

सूबे में कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में एक रहे नागेंद्र झा के बेटे मदनमोहन झा को बिहार कांग्रेस से बगावत करने वाले पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी ने साधने की कोशिश की थी। मगर झा ने निष्ठा नहीं बदली।

प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल रहे राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को सबसे अहम प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर राहुल ने संगठन में संतुलन बनाने की कोशिश की है। साथ ही अखिलेश के सहारे सूबे के एक और प्रभावशाली सवर्ण वर्ग भूमिहारों को साधने का दांव भी चला है।

पार्टी का आकलन है कि भाजपा से सर्वण समुदाय का मोहभंग हो रहा है और कांग्रेस ही उनके लिए विकल्प है। इसीलिए सवर्ण मतदाताओं को साधना पार्टी के लिए मुफीद होगा। प्रदेश कांग्रेस के लिए नियुक्त चार कार्यकारी अध्यक्षों में से दो सवर्ण चेहर समीर कुमार सिंह और श्याम संुदर धीरज का होना पार्टी की इस रणनीति का संकेत है।

पुराने दिग्गजों को साधने के लिए बनी सलाहकार समिति

हालांकि सवर्णो को लुभाने की कसरत में दूसरे वर्ग की अनदेखी का संदेश न जाए इस लिहाज से अल्पसंख्यक चेहरे कोकब कादरी के साथ पार्टी के दलित चेहरे डा अशोक कुमार को भी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मीरा कुमार और केके तिवारी से लेकर सदानंद सिंह और शकील अहमद जैसे वरिष्ठ नेताओं को 19 सदस्यीय सलाहकार समिति में शामिल किया गया है। राहुल ने प्रदेश कांग्रेस की 23 सदस्यीय कार्यसमिति भी गठित कर दी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.