गठबंधन पर नायडू की चुप्पी, नहीं रास आ रही फेडरल फ्रंट की कवायद
2019 चुनाव के बाबत जहां कांग्रेस संप्रग का कुनबा जोड़ने में लगी है वहीं तृणमूल, राकांपा, सपा, राजद जैसे कई दलों ने फेडरल फ्रंट की हवा तेज की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दो दिन की दिल्ली यात्रा, लगभग एक दर्जन राजनीतिक नेताओं से मुलाकात, लेकिन चुनावी राजनीति को लेकर चुप्पी। एक पखवाड़े पहले ही राजग से अलग हुए टीडीपी नेता व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उलट भविष्य के गठबंधन से फिलहाल पल्ला झाड़ते नजर आए। बल्कि उन्होंने यह कहकर असमंजस और बढ़ा दिया कि उन्होंने कई मोर्चा बनते देखा है।
2019 चुनाव के बाबत जहां कांग्रेस संप्रग का कुनबा जोड़ने में लगी है वहीं तृणमूल, राकांपा, सपा, राजद जैसे कई दलों ने फेडरल फ्रंट की हवा तेज की है। इसी क्रम में नायडू की दिल्ली यात्रा को बहुत अहम माना जा रहा था। पिछले दो दिनों में उन्होंने कई नताओं से मुलाकात की जिसमें राकांपा नेता शरद पवार, नेशनल कांफ््रेस के फारूख अब्दुल्ला, कांग्रेस के वीरप्पा मोइली, सपा के रामगोपाल यादव तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता शामिल थे। इसे फ्रंट के लिहाजा से ही देखा जा रहा था। लेकिन नायडू को कोई जल्दबाजी नहीं है।
बुधवार को मीडिया से रूबरू नायडू ने स्पष्ट कर दिया कि उनका फोकस आंध्र प्रदेश है। यही कारण है कि बुधवार को भी उनका पूरा ध्यान आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने पर रहा। जब राजनीतिक सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा- 'मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं।' एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा - नेशनल फ्रंट, यूनाइटेड फ्रंट के गठन में मैं भागीदार रहा हूं। दो गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनाए थे। राजग सरकार के भी साथ रहा हूं। लेकिन कभी भी स्वार्थ की राजनीति नहीं की।'
दरअसल, आंध्र प्रदेश में भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने का कोई औचित्य नहीं है। वहां भाजपा कमजोर है और लड़ाई में आमने सामने टीडीपी और वाइएसआर कांग्रेस है। दोनों दल कांग्रेस के खिलाफ की राजनीति करते रहे हैं।
---------------समाप्त---