पवार पर उंगली महागठबंधन के लिए बन सकती है चुनौती
मानसून सत्र के बाद पेट्रोल -डीजल की महंगाई को लेकर महागठबंधन की एकता दिखाने के लिए कांग्रेस ने 21 दलों का समर्थन खड़ा किया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । शरद पवार की ओर से राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा को संदेह से परे करार देने के दूसरे ही दिन राकांपा सांसद तारिक अनवर के इस्तीफे तक की घटनाओं में काफी कुछ संदेश छिपा है। केंद्र में रक्षा मंत्रालय का भी जिम्मा संभाल चुके पवार ने जहां कांग्रेस के लिए सीमा रेखा खींचते हुए संदेश दिया कि कांग्रेस विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने का मुद्दा और मंशा छोड़ रही है। वहीं अनवर का इस्तीफा और अब उनके कांग्रेस में जाने की संभावना ने महागठबंधन के अंदर एक खिंचाव पैदा करेगी।
मानसून सत्र के बाद पेट्रोल -डीजल की महंगाई को लेकर महागठबंधन की एकता दिखाने के लिए कांग्रेस ने 21 दलों का समर्थन खड़ा किया था। लेकिन उसके बाद से ऐसा कोई मुद्दा सामने नहीं आ रहा जिसपर सभी विपक्षी दल एकजुट हों। राफेल पर केवल कांग्रेस और राहुल गांधी ही हमलावर हैं। भ्रष्टाचार को 2014 में भाजपा ने बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था और कांग्रेस भी इसी मुद्दे पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहती है। लेकिन विपक्ष से सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में पवार का बयान एक गंभीर राजनीतिज्ञ का है लेकिन कांग्रेस के लिए झटका है। ध्यान रहे कि राकांपा भले ही छोटी पार्टी है लेकिन पवार महागठबंधन के लिए सूत्रधार की भूमिका में माने जा रहे हैं। वह विपक्ष में फिलहाल अकेले ऐसे नेता हैं जो किसी भी दल के नेतृत्व से बात कर सकते हैं और समझा भी सकते हैं। उनपर अगर महागठबंधन केदलों की ओर से ही उंगली उठी तो एकता खतरे में है। गलती हो ही गई। राकांपा के पुराने सदस्य अनवर ने मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ पार्टी और लोकसभा सेभी इस्तीफा दे दिया। जाहिर है कि वह कांग्रेस में शामिल होंगे। यानी महागठबंधन फार्मूले में बिहार में राकांपा को जो एक सीट मिलती उसकी आशा खत्म हो गई।
राजनीति के पुराने खिलाड़ी पवार के बयान के भी मायने हैं। वह उस पीढ़ी के मान्य नेता हैं जो आरोपों में विश्वास नहीं करते। खासकर शीर्ष स्तर पर बिना आधार आरोप लगाना उनकी आदत में शुमार नहीं है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन है लेकिन पवार यह संदेश स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रदेश में राकांपा ही नेतृत्व करेगी। पिछले चुनावों में यह साबित होता रहा है कि मोदी पर सीधा हमला हमेशा उल्टा पड़ता है। यही कारण है कि लंबे अरसे तक कांग्रेस सीधे मोदी पर बयान नहीं देती थी। अब बिना पुख्ता साक्ष्य पीएम को चोर बताया जा रहा है। पवार ने कांग्रेस को शायद सावधान किया है। वैसे अपने तईं उन्होंने मोदी प्रशंसकों के एक बड़े खेमे को भी साथ जोड़ लिया है।