असम राइफल्स को गिरफ्तारी का अधिकार देकर पीछे हटा केंद्र, ये है वजह
असम राइफल्स को गिरफ्तारी का विशेष अधिकार देने के बाद केंद्र ने इसे स्थगित रखने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। असम राइफल्स को गिरफ्तारी का विशेष अधिकार देने के बाद केंद्र ने इसे स्थगित रखने का फैसला लिया है। असम राइफल्स को पूर्वोत्तर के राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम में बिना वारंट किसी भी स्थान पर तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया था।
गृह मंत्रालय अब संबंधित राज्यों की सरकारों से इस मुद्दे पर विचार करेगा। राज्य सरकारों ने अर्धसैनिक बल को दिए गए अधिकार का विरोध किया है। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि 19 फरवरी को जारी अधिसूचना को स्थगित रखने का फैसला लिया गया है। असम राइफल्स को अधिकार प्रदान करने के अलावा गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, 'एक अधिकारी के समतुल्य असम राइफल्स के सबसे निचले स्तर के सदस्यों को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत ये अधिकार दिए गए हैं।'
अधिसूचना में कहा गया है कि असम राइफल्स के कर्मी इन अधिकारों का इस्तेमाल और अपने कर्तव्य का निर्वाह सीआरपीसी की धारा 41 की उपधारा (1), धारा 47, 48, 49, 51, 53, 54, 149,150, 151 और 152 के तहत कर सकते हैं। वे असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम के सीमावर्ती जिलों के भीतर सीमित क्षेत्रों में इस अधिकार का प्रयोग करेंगे।
शुक्रवार को अधिकारियों ने कहा कि असम राइफल्स को असम राइफल्स अधिनियम 1941 के तहत सीआरपीसी के तहत अधिकार मिले हुए थे। हालांकि नए असम राइफल्स अधिनियम 2006 के लागू होने के बाद से शक्तियां प्रदान करने का मुद्दा विचाराधीन ही रखा गया है। भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था के प्रभावी रूप से लागू होने के लिए इस मुद्दे की आवश्यकता पैदा हो गई। भारत और म्यांमार के बीच भूमि सीमा से संबंधित द्विपक्षीय समझौता पिछले वर्ष हुआ था।
इस समझौते के बाद मुक्त आवाजाही व्यवस्था को तर्कसंगत बनाया गया। इसके लिए असम राइफल्स सहित सीमा रक्षक बलों को विदेशी अधिनियम 1946, पासपोर्ट अधिनियम 1967 और भारत में प्रवेश पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत उपयुक्त शक्तियां दिए जाने की जरूरत है। पूर्वोत्तर में उग्रवाद से लोहा लेने में अग्रणी असम राइफल्स भारत-म्यांमार सीमा की निगरानी भी करता है।