बैंक धोखाधड़ी में भगोड़ों को जारी लुकआउट सर्कुलर की सूचना नहीं देगी सीबीआइ
सीबीआइ ने अपने अधिकारियों द्वारा भगोड़ों को वापस लाने के लिए कानूनी और यात्रा सेवाओं पर किए गए खर्च की कोई जानकारी सूचना मांगने वाले आरटीआइ आवेदनकर्ता को नहीं दी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सीबीआइ ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत वर्ष 2014 व 2019 के बीच बैंक और वित्तीय धोखाधड़ी मामलों में आरोपितों को पकड़ने के लिए जारी लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) की संख्या बताने से इन्कार कर दिया है। उसने तर्क दिया है कि ऐसा करने से चल रही जांच प्रभावित हो सकती है।
सूचना मांगने वाले आरटीआइ आवेदनकर्ता ने दावा किया कि सीबीआइ ने खुद के स्तर से एलओसी जारी करने के बाद सक्षम प्राधिकारियों की ओर से प्राप्त आदेशों की जानकारी देने से भी इन्कार कर दिया। उसने इसके लिए आरटीआइ कानून की धारा 8(1) (एच) का हवाला दिया। यह धारा सीबीआइ को ऐसी सूचना मुहैया कराने से छूट प्रदान करती है जो किसी आरोपित की गिरफ्तारी या अभियोजन पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
पुणे के आरटीआइ कार्यकर्ता विहार दुर्वे की ओर से सीबीआइ, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में दी गई आरटीआइ अर्जी के क्रम में यह जवाब आया है। दुर्वे ने कहा कि एजेंसी ने अपने अधिकारियों द्वारा भगोड़ों को वापस लाने के लिए कानूनी और यात्रा सेवाओं पर किए गए खर्च की भी कोई जानकारी नहीं दी।
गौरतलब है कि सरकार ने गत वर्ष मार्च में संसद में कहा था कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, जतिन मेहता और शराब कारोबारी विजय माल्या सहित 31 भगोड़े उद्योगपति सीबीआइ जांच का सामना कर रहे हैं।
सरकार ने कहा था कि सीबीआइ को जिनकी तलाश है उनमें विजयकुमार रेवाभाई पटेल, सुनील रमेश रूपाणी, पुष्पेश कुमार बैद, सुरेंद्र सिंह, अंगद सिंह, हरसाहिब सिंह, हरलीन कौर, आशीष जोबनपुत्रा, नीशल मोदी, चेतन जयंतिलाल संदेसरा और दीप्ति चेतन संदेसरा शामिल हैं।
सरकार ने कहा था कि विदेश मंत्रालय को माल्या, जोबनपुत्रा, बैद, संजय कालरा, वर्षा कालरा और आरती कालरा के प्रत्यर्पण अनुरोध सीबीआइ से मिले हैं, जिसे संबंधित देशों को विचारार्थ भेजा गया है।
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