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मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्गजों के पुत्र मोह के कारण उपेक्षित रहा काबिल नेतृत्व

मध्य देश कांग्रेस में पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का क्रम अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से चला आ रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 08:48 PM (IST)
मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्गजों के पुत्र मोह के कारण उपेक्षित रहा काबिल नेतृत्व
मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्गजों के पुत्र मोह के कारण उपेक्षित रहा काबिल नेतृत्व

रवींद्र कैलासिया, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में दिग्गज नेताओं के पुत्रों के राजनीति में आने की परंपरा चली आ रही है। अर्जुन सिंह, सुभाष यादव के बाद अब दिग्विजय सिंह, कमल नाथ, कांतिलाल भूरिया जैसे नेताओं के पुत्र राजनीति में आ गए हैं। इससे पार्टी में जीतू पटवारी, बाला बच्चन, ओमकार मरकाम, कुणाल चौधरी, डॉ. हीरालाल अलावा जैसे उन नेताओं के लिए मुश्किलें हैं जो संगठन की कमान संभालने में सक्षम हैं लेकिन नेताओं के पुत्र मोह के कारण उन्हें मौका नहीं मिल रहा है।

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दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया के बाद अब कमल नाथ भी धीरे-धीरे राजनीतिक विरासत नकुल नाथ को सौंपने की तैयारी में हैं और नकुल नाथ का युवा नेताओं का नेतृत्व करने का बयान इस दिशा में एक कदम है।

सचिन यादव भी उतरे राजनीति में

मध्य देश कांग्रेस में पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का क्रम अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से चला आ रहा है जब प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के पुत्र श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल राजनीति में आए थे। फिर मुख्यमंत्री रहे स्व. गोविंदनारायण सिंह के पुत्र हर्ष सिंह तो पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह और उप मुख्यमंत्री रहे स्व. सुभाष यादव के बेटे अरण यादव व सचिन यादव राजनीति में उतरे।

अब मौजूदा राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व कमल नाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया इस क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। पूरे मंत्रिमंडल को कैबिनेट मंत्री बनाया 10 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद 2003 में भाजपा के हाथों करारी हार पर दिग्विजय सिंह ने 10 साल तक मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर रहने का संकल्प लिया था लेकिन इस बीच उन्होंने अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को प्रदेश की राजनीति में उतार दिया। दूसरी बार विधायक बनते ही जयवर्धन सिंह कैबिनेट मंत्री बन गए। कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह की वजह से कमल नाथ सरकार में पूरे मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे।

नकुल नाथ को राजनीतिक विरासत सौंपने के संकेत

दबी जुबान में कमल नाथ सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आलोचना भी की। नाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही नकुल राजनीति में सक्रिय हुए विधानसभा चुनाव 2018 के छह महीने पहले जब कमल नाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनकर आए तो उन्होंने स्वागत जुलूस में नकुल नाथ को आगे कर राजनीतिक विरासत सौंपने के संकेत दिए थे।

लोकसभा चुनाव में नकुल को जिताकर संसद पहुंचाया और अब उन्हें युवा विधायकों का नेतृत्व करने के लिए आगे किया जा रहा है। इसी तरह कांतिलाल भूरिया ने बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को आगे किया और विधानसभा चुनाव का टिकट दिलाया लेकिन उनकी हार हो गई। राहुल की टीम के युवा नेता पिछड़े पुत्रों को आगे कर दिग्गजों ने पार्टी के युवा नेताओं के अवसरों को खत्म करने की कोशिश की है।

बाला बच्चन विधानसभा में रहे नेता प्रतिपक्ष

राहुल गांधी की टीम में शामिल रहे जीतू पटवारी हो या ओमकार मरकाम या कमल नाथ के विश्वस्त बाला बच्चन या फिर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी या आदिवासी युवा संगठन जयस के सूत्रधार रहे कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा अपनी नेतृत्व क्षमता के बावजूद पिछड़ते जा रहे हैं। बाला बच्चन विधानसभा में विपक्ष में रह कर प्रभारी नेता प्रतिपक्ष रहे और आदिवासी समाज का नेतृत्व करते हैं तो मरकाम भी आदिवासियों के बीच लोकप्रिय नेता हैं।

जीतू पटवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और दो बार के विधायक होने के साथ शिवराज सरकार के सामने दीवार की तरह खड़े रहते हैं। इसी रह कुणाल कई सालों से युवा कांग्रेस की कमान संभाले हैं और शिवराज सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़े करने में आगे रहे हैं। डॉ. अलावा भी युवा आदिवासियों के बीच लोकप्रिय हैं और आदिवासी समाज में उनकी एक आवाज पर बड़े आंदोलन हुए हैं।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि 'पीढ़ी परिवर्तन सभी दलों में होता है। यह निरंतर प्रक्रिया है। कांग्रेस में समय-समय पर आनुपातिक प्रक्रिया से यह होता रहता है। पार्टी के लिए ऊर्जा और अनुभव दोनों आवश्यक हैं।


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