Move to Jagran APP

चावल खरीदना बनेगा कांग्रेस के लिए मुश्किलों का सबब

केंद्रीय उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय ने समर्थन मूल्य पर बोनस देकर अनाज की सरकारी खरीद करने वाले राज्यों को चेतावनी दी है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 09:27 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 09:27 PM (IST)
चावल खरीदना बनेगा कांग्रेस के लिए मुश्किलों का सबब
चावल खरीदना बनेगा कांग्रेस के लिए मुश्किलों का सबब

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए बोनस के साथ धान की सरकारी खरीद करना मुश्किलों का सबब बन सकती है। चुनावी लाभ के लिए पार्टी ने राज्यों में सरकार बनने की स्थिति में धान की सरकारी खरीद में भारी भरकम बोनस देने की घोषणा कर रखी थी। केंद्रीय उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय ने समर्थन मूल्य पर बोनस देकर अनाज की सरकारी खरीद करने वाले राज्यों को चेतावनी दी है।

loksabha election banner

केंद्रीय खरीद एजेंसी एफसीआई बोनस के साथ होने वाली सरकारी खरीद के स्टॉक की जिम्मेदारी लेने से मना करने की तैयारी में है। सरकारी खरीद वाले अनाज को केंद्रीय पूल में नहीं लिया जा सकता है। ऐसी दशा में राजनीति से प्रेरित होकर एमएसपी पर बोनस घोषित करने वाले राज्यों की मुश्किलें बहुत बढ़ सकती हैं। केंद्र ने इसकी चेतावनी सभी राज्यों को पहले ही जारी कर दी थी।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने उनकी उपज को भारी भरकम बोनस के साथ खरीदने का ऐलान किया था। पार्टी के इस वायदे की घोषणा के साथ ही प्रमुख चावल उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ में तो किसानों ने धान की बिक्री रोक दी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में सरकरी खरीद पूरी तरह ठप हो गई। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी किसान बोनस के साथ 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद की आस लगाये बैठे रहे।

खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक धान की खरीद राज्य सरकार के आश्वासन के बाद शुरु हुई है, लेकिन अभी तक मात्र 16 लाख टन ही हो सकी है। जबकि राज्य में चावल की कुल खरीद 40 लाख टन होनी है। राज्य की नई सरकार अगर बढ़े हुए मूल्य पर चावल खरीद करती है तो उसे खुद उस चावल की खपत करनी होगी। माना जा रहा है कि पुराने प्रावधान का हवाला देकर केंद्रीय खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम उसकी जिम्मेदारी उठाने से पल्ला झाड़ सकता है। ऐसे में राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्यों कि राज्य में चावल की खरीद का बड़ा हिस्सा केंद्रीय पूल में जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.