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ब्रेक्सिट को लेकर और अनिश्चित हुई ब्रिटेन व यूरोपीय संघ से भारत के कारोबारी रिश्ते की राह

बिटिश संसद में वोटिंग के बाद ब्रेक्सिट को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है जिसका असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 09:37 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 09:37 PM (IST)
ब्रेक्सिट को लेकर और अनिश्चित हुई ब्रिटेन व यूरोपीय संघ से भारत के कारोबारी रिश्ते की राह
ब्रेक्सिट को लेकर और अनिश्चित हुई ब्रिटेन व यूरोपीय संघ से भारत के कारोबारी रिश्ते की राह

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को निकालने की प्रक्रिया (ब्रेक्सिट) पर पीएम थेरेसा मे के प्रस्ताव को ब्रिटिश सांसदों ने जिस तरह से ठुकराया है उससे भारतीय कारोबार पर भी असर पड़ने की बात कही जा रही है। बुधवार को बिटिश संसद में वोटिंग के बाद ब्रेक्सिट को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है जिसका असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इससे ना सिर्फ ब्रिटेन में कारोबार करने वाली भारतीय कारपोरेट पर उल्टा असर होने की बात की जा रही है बल्कि ब्रिटेन और भारत के द्विपक्षीय कारोबार के भी प्रभावित होना तय माना जा रहा है।

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ब्रेक्सिट पर अनिश्चितता बढ़ने से भारत पर भी असर

जब से ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का फैसला किया है तभी से भारत इस प्रक्रिया के पूरा होने की बाट देख रहा है। इसके पीछे वजह यह है कि भारत यह देखना चाहता है कि किन शर्तो पर ब्रिटेन अलग होता है और अलग होने के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच निवेश व कारोबार को लेकर किस तरह के समझौते होते हैं।

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत के नए व्यापार समझौते में होगी और देरी

दरअसल, इस वजह से ही ना तो भारत व ब्रिटेन के बीच नये कारोबारी समझौते की शुरुआत हो पाई और ना ही भारत व यूरोपीय संघ के बीच होने वाले व्यापारिक समझौते पर बातचीत आगे बढ़ पाई है। अब जबकि ब्रिटेन में ही ब्रेक्सिट को लेकर भारी अनिश्चितता बन गई है तो भारत के साथ होने वाले समझौते के लिए भी अब लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि इस वजह से ब्रिटेन में नए सिरे से चुनाव भी करवाये जा सकते हैं जिससे यह प्रक्रिया और लंबित हो सकती है।

वैश्विक अनिश्चितता की वजह से भारतीय शेयर बाजार पर होगा असर

इस अनिश्चितता का असर ब्रिटेन में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों पर सबसे पहले पड़ेगा। नासकॉम के डाटा के मुताबिक देश की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के कुल कारोबार में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 10 फीसद के करीब है।

ब्रिटेन में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों संशय में

ब्रेक्सिट पर फैसला नही होने की वजह से वहां की स्थानीय कंपनियां पहले से ही खर्चे में कटौती शुरु कर चुकी है जिससे भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई पर असर और पड़ सकता है। हाल की तिमाहियों में इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनी के खराब वित्तीय प्रदर्शन के लिए एक वजह ब्रेक्सिट को लेकर छाई अनिश्चितता भी है।

भारत की दिग्गज मोटर कंपनी टाटा मोटर्स के वैश्विक कारोबार में ब्रिटेन का बड़ा योगदान है। इसके भी प्रभावित होने के आसार है। ब्रिटेन में आर्थिक मंदी होने का असर वहां से भारत आने वाली रेमिटेंस की राशि में भी कमी हो सकती है। अभी भारत में जितनी राशि प्रवासी भारतीय भेजते हैं उसका पांच फीसद ब्रिटेन से आता है।


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