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कोई नहीं कहता कि केवल सरकारी वाहन ही सड़क पर चलने चाहिए, रेलवे के निजीकरण के आरोप पर बोले पीयूष गोयल

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रेलवे का निजीकरण कभी नहीं किया जाएगा लेकिन बेहतर सुविधाओं के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए गोयल ने यह बात कही।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 02:06 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 02:06 PM (IST)
रेल मंत्री पीयूष गोयल। (फोटो - एएनआइ)

नई दिल्ली, पीटीआइ। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रेलवे का निजीकरण कभी नहीं किया जाएगा, लेकिन बेहतर सुविधाओं के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हम पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगाया जाता है, लेकिन लोग कभी यह नहीं कहते हैं कि केवल सरकारी वाहनों को सड़कों पर चलना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के वाहन आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। रेलवे में निजी निवेश का हमें स्वागत करना चाहिए क्योंकि इससे सेवाओं में सुधार होगा। 

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रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए गोयल ने कहा कि दो साल में रेल दुर्घटना के कारण किसी भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई है और रेलवे का पूरा ध्यान यात्री सुरक्षा पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के एक साथ काम करने से देश उच्च विकास की ओर बढ़ सकता है और रोजगार के अधिक अवसर पैदा कर सकता है। 

गोयल ने कहा कि मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2021-22 के वित्त वर्ष में रेलवे में 2.15 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। उन्होंने आगे कहा कि हम यात्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले दो वर्षों में किसी भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई है। ट्रेन दुर्घटना के कारण अंतिम मौत मार्च 2019 में हुई थी।

गोयल ने यह भी बताया कि लगभग 1,000 रेलवे स्टेशनों और 400 रेलवे भवनों पर सौर पैनल लगाए गए हैं। 2030 तक, भारत 'नेट जीरो कार्बन एमिशन रेलवे' वाला दुनिया का पहला देश होगा। लोगों ने लॉकडाउन की आलोचना की, लेकिन यह सही नहीं है। ट्रेन सेवाओं को जारी रखने से देश भर में कोरोना फैलता। लगभग 2 करोड़ मुफ्त भोजन और पानी की बोतलों के वितरण के साथ प्रवासी मजदूरों के लिए रेलवे ने लगभग 4,600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की।


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