वित्तीय नहीं सरकार ने पेश किया वोटों का लेखा-जोखा: कांग्रेस
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश कर दिया है। विपक्ष इसे मात्र चुनावी मौसम की जुमलेबाजी कह रहा है क्योंकि अभी सरकार के पास पूर्ण कार्यकाल नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनडीए सरकार के अंतरिम बजट के लुभावने ऐलानों को कांग्रेस ने देश के साथ एक और बड़ा जुमला करार दिया है। पूर्व वित्तमंत्री कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि अंतरिम बजट 'वित्तीय लेखानुदान' नहीं बल्कि 'वोटों का लेखा-जोखा' है। किसानों को नगद सहायता के ऐलान को 2 हजार रुपये देकर वोट हासिल करने का दांव बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि इससे तो किसानों को रोजाना एक कप चाय भी नहीं मिलेगी। आयकर में छूट की घोषणा को उन्होंने आंकड़ों की चतुराई का खेल बताते हुए कहा कि सरकार ने लोगों को दिया कम भरमाया ज्यादा है। चिदंबरम ने सरकार पर संसदीय नियम परंपरा की धज्जियां उड़ाते हुए अंतरिम बजट के नाम पर पूरा बजट पेश करने का आरोप भी लगाया।
लोकसभा में अंतरिम बजट के डेढ घंटे बाद ही प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार पर हमला करते हुए चिदंबरम ने कहा कि पीयूष गोयल का लंबा अंतरिम बजट भाषण जाहिर करता है कि यह पूर्ण बजट था। तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जिसे सत्ता में वापस लौटने की उम्मीद होती है वह इस तरह संविधान और नियमों की धज्जियां नहीं उड़ाता। मगर इनके रुख से साफ है कि मोदी सरकार को अपनी वापसी की कोई उम्मीद नहीं है।
किसानों को नगद सहायता देने के मुद्दे पर चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस किसानों की मदद के हर कदम के पक्ष में है मगर यह ऐलान उनकी सहायता नहीं वोट के लिए उठाया गया है। वित्तीय अनुशासन की धज्जियां उड़ाते हुए उधार लेकर सरकार इस योजना का फंड जुटाएगी। कांग्रेस इस कदम का स्वागत तो करती है मगर हमारा सवाल है कि गैर किसान गरीबों और शहरी गरीबों के लिए क्या किया। चिदंबरम ने इस लिहाज से राहुल गांधी की न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना की घोषणा को सबसे बेहतर बताते हुए कहा कि सीमांत किसान, मजदूर, गरीब चाहे शहरी हों या ग्रामीण सभी इसके दायरे में आएंगे।
आयकर में छूट के ऐलान पर पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि आंकड़ों के जुमले के अलावा लोगों को कुछ खास नहीं दिया गया है। कांग्रेस सत्ता में आयी तो डायरेक्ट टैक्स कोड में बदलाव कर आयकर दाताओं का बोझ और कम किया जाएगा। बजट या विजन दृष्टिकोण में शिक्षा और रोजगार जैसे दो अहम विषय का जिक्र न होने की बात उठाते हुए चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने युवाओं और बच्चों को ठगा है। उनके मुताबिक यदि यह सरकार कुछ जानती है तो वह पकौडानॉमिक्स और जुमला।
सरकार की वित्तीय नाकामी पर वार करते हुए चिदंबरम ने कहा कि लगातार दूसरे साल वित्तीय घाटे को वह काबू में नहीं रख पायी। चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 3.3 फीसद के लक्ष्य से बढ़कर 3.4 फीसद पर पहुंच गई है। 2019-20 में खुद सरकार ने ही घाटा 3.4 फीसद रहने का अनुमान रखा है। चालू खाता घाटा भी मौजूदा वर्ष में 2.5 फीसद पहुंच गया है जबकि सरकार ने इसे 1.9 फीसद रखने का लक्ष्य रखा था। उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस बांटने और गांवों को शौच मुक्त करने के साथ शौचालय के रिकार्ड निर्माण के दावों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आंकड़ों को फर्जी करार दिया। मुद्रा लोन में बढ़ते एनपीए का आइना दिखाते हुए कहा कि इस सरकार के दावों पर अब कोई विश्वास नहीं करता।