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Boycott Chinese Products: देश में बना चीन विरोधी माहौल, केंद्रीय मंत्री ने कहा- चीन उत्पादों का करो बहिष्कार

Boycott Chinese Products भारत में ट्विटर पर गुरुवार को दिन भर बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट का हैशटैग ट्रेंड करता रहा। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी इस तरह के विरोध का समर्थन किया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 08:21 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 08:21 PM (IST)
Boycott Chinese Products: देश में बना चीन विरोधी माहौल, केंद्रीय मंत्री ने कहा- चीन उत्पादों का करो बहिष्कार
Boycott Chinese Products: देश में बना चीन विरोधी माहौल, केंद्रीय मंत्री ने कहा- चीन उत्पादों का करो बहिष्कार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Boycott Chinese Products मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव का जिस तरह से चीन ने विरोध किया है उससे भारत में चीन के खिलाफ एक बड़ा माहौल बनता दिख रहा है। एक तरफ जहां आम नागरिकों में चीन के इस रवैये के खिलाफ माहौल बना है तो दूसरी तरफ फिल्म उद्योग से लेकर उद्योग जगत तक की तरफ से चीन के बाजार और उसके उत्पादों का बहिष्कार करने की बातें सामने आने लगी है। सोशल मीडिया पर भी चीन के उत्पादों के विरोध का जबरदस्त चर्चा है। भारत में ट्विटर पर गुरुवार को दिन भर 'बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट' का हैशटैग ट्रेंड करता रहा। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी इस तरह के विरोध का समर्थन किया है।

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बादल ने कहा है कि अब समय आ गया है कि, ''हम चीन को यह कड़ा संदेश दे कि वह उन आतंकियों की मदद कर रहा है जो हमारे सैनिकों की हत्या कर रहे हैं। सभी भारतीयों को इस बारे में मन बना लेना चाहिए। हम होली के बाद से चीन में बने किसी भी उत्पाद को हाथ नहीं लगाएंगे।'' दरअसल, बादल का यह बयान तब आया है जब देश में छोटे खुदरा कारोबारियों के सबसे बड़े संगठन कंफेंडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश भर के व्यापारियों से चीन निर्मित उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। कैट ने यह भी घोषणा की है कि आगामी 19 मार्च को देश भर में हजारों स्थानों पर चीनी उत्पादों की होली जलाई जाएगी। बाबा रामदेव ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर अपना उद्गार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि ''चीन विशुद्ध रूप से व्यावसायिक भाषा ही समझता है। आर्थिक बहिष्कार युद्ध से भी ज्यादा ताकतवर है।''

चीन के प्रति यह गुस्सा बुद्धिजीवी वर्ग में भी दिखाई दे रहा है। रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि, ''चीन ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध का क्यों विरोध किया है, इसे समझने की जरुरत है। चीन अंतिम समय गिन रहे आतंकी को ही नहीं बचा रहा है बल्कि वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव से भी बचा रहा है कि वह आतंकियों के खिलाफ कोई बड़ी निर्णायक कार्रवाई नहीं करे।''

प्रख्यात फिल्मकार हंसल मेहता ने ट्विट करते पूरी फिल्म उद्योग से सवाल पूछा है कि क्या हम चीन में अपनी फिल्मों को रिलीज नहीं करने का फैसला कर सकते हैं। सनद रहे कि हाल के वर्षो में भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिए चीन एक बड़ा बाजार बन कर उभरा है। वर्ष 2016 में चीन में दो भारतीय फिल्मों का प्रदर्शन हुआ था जबकि वर्ष 2018 में दस भारतीय फिल्मों को वहां रिलीज किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक आमिर खान की फिल्म दंगल ने वहां एक हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया है।

संभव नहीं चीनी उत्पादों का संपूर्ण प्रतिबंध
भारत और चीन के आर्थिक रिश्ते आज जिस मुकाम पर पहुंच चुके हैं उसे देखते फिलहाल यह संभव नहीं दिखती कि चीन में बने उत्पादों का भारत में पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा सके। आज की तारीख में देश के 60 फीसद से ज्यादा मोबाइल हैंडसेट बाजार पर चीन की कंपनियों का कब्जा है। वर्ष 2014 में घरेलू हैंडसेट बाजार में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 50 फीसद थी जो वर्ष 2018 में घट कर 9 फीसद ही रह गई है। शिओमी, ओपो, वीवो, लेनेवो, हुवेई जैसी कंपनियां भारतीय मोबाइल बाजार में छा चुकी हैं।

सिर्फ संचार क्षेत्र में ही नहीं चीन की कंपनियों का दबदबा ढांचागत क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। शंघाई इलेक्टि्रक, एसेल अहमदाबाद गोधरा रोड्स लि, सिनो हाइड्रो कार्पोरेशन, शीइंडिया स्टील लिमिटेड, शौगैंग इंटरनेशनल, जेटीई, हार्बिन इलेक्टि्रक, साइनो स्टील जैसी दर्जनों कंपनियां स्टील से लेकर बिजली तक और सड़क निर्माण से लेकर कंप्यूटर निर्माण तक में जुटी हुई हैं। वर्ष 2017-18 में भारत के साथ व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में 58 अरब डॉलर का था। इस वर्ष चीन ने भारत के कृषि व दवा उत्पादों के लिए अपना बाजार खोला है लेकिन इसका असर अभी नहीं दिखाई दिया है।


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